कॉर्न सिटी के तमगे पर संकट, सोयाबीन की खेती पर जोर दे रहे किसान
Publish Date: | Mon, 15 Jun 2020 04:08 AM (IST)
मक्के की बंपर पैदावार के बाद भी नहीं मिल रहे सही दाम, 1100 रुपये तक पहुंच दाम
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मंडी में लगे मक्के के ढेर
छिंदवाड़ा। बंपर मक्का उत्पादन के चलते जिले की पहचान कार्न सिटी के तौर पर हो चुकी है, यही नहीं बीते दो सालों से जिले में कार्न फेस्टिवल का आयोजन भी धूमधाम से किया गया, लेकिन इस साल इस पहचान पर संकट दिखाई दे रहा है, क्योंकि जिले के किसानों का मक्के की खेती से मोहभंग हो गया है। बीते साल जहां मक्के की बंपर पैदावार के बाद भी किसानों को उपज के बेहतर दाम मिले थे, मक्का दो हजार से लेकर 21 सौ क्विंटल तक बिका था, लेकिन इस साल मक्के के दाम महज एक हजार से लेकर 11सौ तक ही गए हैं, जिसके कारण किसान ने मक्के के बजाय सोयाबीन की फसल पर जोर देना शुरू कर दिया है। कृषि विभाग के उपसंचालक जे. आर. हेड़ाउ के मुताबिक सोयाबीन का उत्पादन भले कम होता है, लेकिन किसान को इसके अच्छे दाम मिलते हैं, यही वजह है कि अब किसान मक्के के बजाय तुअर और सोयाबीन की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इस बार किसानों ने सोयाबी के बीज की डिमांड ज्यााद की है। ऐसे में इस सीजन मक्के का उत्पादन कम होगा। प्रदेश में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादक जिला छिंदवाड़ा ही हुआ करता था। अब इस साल किसान मक्के की फसल लगाने से कतरा रहे हैं।
रकबा ज्यादा, मुनाफा कम
इस साल अभी तक 65 लाख मिट्रिक टन मक्के का उत्पादन हुआ है, मक्के में आर्मी वर्म कीट और अति वृष्टि के कारण मक्के की फसल प्रभावित हुई है। पांच साल पहले जिले में बड़े पैमाने पर सोयाबीन का उत्पादन होता था, किसान धन सिंह ने बताया कि सोयबीन की पैदावर कम होती है, लेकिन भाव 4 हजार रुपये क्विंटल तक मिल जाते हैं। इस बार मक्के के दाम 11 सौ से भी कम रहे, ऐसे में अब वो सोयाबीन की फसल लगाएंगे। लॉक डाउन के दौरान फसलों और सब्जियों में किसानों को खासा नुकसान हुआ है। मानसून आने में ज्यादा समय नहीं बचा है, जिसे ध्यान में रखते हुए किसान अपनी खेतों की जमीन को जोत रहा हैं। कहीं-कहीं तो किसानों ने बोवनी भी कर दी है। इस बार किसान मक्का छोड़ दूसरी फसलों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। जिस वजह से तुअर, सोयाबीन आदि के बीजों की मांग बढ़ी है.प्राकृतिक आपदा और लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ दी थी. लॉकडाउन के सब्जी किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं अब किसान को जून के आखिरी तक मानसून आने की उम्मीद है, जिसको लेकर किसान फिर से अपने खेतों में जाकर तैयारी में जुट गया है। मौसम विज्ञानी जी. आर. पराडकर के मुताबिक जून के आखिरी सप्ताह तक जिले में मानसून दस्तक दे देगा, जिसके मद्देनजर किसानों ने लगभग अपनी खेतों में जुताई कर ली है।
इनका कहना है
किसान द्वारा बीज की मांग आ रही है, उन्हें बीज उपलब्ध कराया भी जा रहा है, लेकिन इस बार किसान मक्के की अपेक्षा सोयाबीन के बीज ज्यादा ले रहा है, उसे पिछले साल और इस साल हुए मक्के की फसल से नुकसान के चलते अब सोयाबीन और दूसरी फसलों की और रुझान बढ़ा है।
जेआर हेड़ाऊ, उपसंचालक कृषि
Posted By: Nai Dunia News Network
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