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... तो इस वजह से लड़ाई में अपनी पत्नी के आगे हार जाता है हर पति

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पति और पत्नी दोनों ही कोई भी फैसला लेने से पहले एक दूसरे के साथ लगभग हर एक बात पर चर्चा करते हैं। वे अपनी समस्याओं, अपनी भावनाओं, अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं के बारे में खुलकर बात करते हैं। हालांकि, इसके बाद भी दोनों के बीच किसी न किसी बात को लेकर मनमुटाव हो ही जाता है, जिसके कारण दोनों के बीच कभी-कभार बात इतनी बिगड़ जाती है कि वह दोनों ही एक-दूसरे से बात तक करना बंद कर देते हैं। हालांकि, जब भी बात आती है इन झगड़ों को सुलझाने की तो आपने अक्सर इस स्थिति का अनुभव किया होगा जहां आपकी पत्नी बातों ही बातों में आसानी से जीत जाती हैं।

क्या कभी आपने सोचा है कि इसके पीछे का असल कारण क्या है? आपका जीवनसाथी सभी तर्कों में आसानी से कैसे जीत जाता है? वैसे, इसके कुछ कारण हैं जिनमे से अधिकांश आपसे ही जुड़े हुए हैं। जी हां, भले ही यह बात आपको सुनने में थोड़ी अटपटी जरूर लग सकती है, लेकिन ऐसा सच है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं वो कारण जिनकी वजह से गलती होते हुए भी हर पत्नी अपने पति के आगे जीत जाती है। पत्नी के सामने क्यों चुप रहते हैं पति? वजह जान पक्का आ जाएगी हंसी

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जब आप अपना नियंत्रण खो दें

यह सबसे बड़ी गलतियों में से एक है जो हम एक अक्सर बातचीत के दौरान करते हैं। बातों ही बातों में हम भावुक हो जाते हैं और नियंत्रण खो देते हैं। यह वो समय होता है जब हम उचित तर्क देने में ही असमर्थ हो जाते हैं।

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जीतने पर ध्यान केंद्रित

एक दूसरे को हराने या उन्हें गलत साबित करने के लिए पति-पत्नी के रिश्ते के बीच कोई जगह नहीं होती है। हालांकि, एक-दूसरे के दृष्टिकोण को जानकर उन्हें सही बात का आभास करना जरूर इस रिश्ते में शामिल होता है। इसलिए, जीतने के उद्देश्य से किसी तर्क में शामिल न हों और साथ ही इस बात को जानें कि आखिरकार किस वजह से दोनों के बीच यह झगड़ा पनपा है।

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भावनाओं को दबाएं नहीं

यह बात दोनों यानी पति-पत्नी के लिए है। अगर आपका पार्टनर कोई गलती करता है तो याद रखें कि उन्हें सुधारने के लिए आपको अपना नियंत्रण नहीं खोना है। साथ ही अपनी भावनाओं को दबाना भी रिश्ते के लिए सही नहीं है। अपनी भावना को व्यक्त करें, लेकिन सामान्य तरीके से। यही नहीं, अत्यधिक भावुक होना या फिर भड़काऊ भाषा का प्रयोग करना भी सही नहीं है। इन 5 तरह के अफेयर के बारे में हर शादीशुदा महिला को पता होना चाहिए

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सारा दोष अपने ऊपर न लें

अक्सर आप मुद्दे से बचने के लिए सारा दोष अपने ऊपर ले लेते हैं जो कि सरासर गलत है। याद रखिए इस तरह आप फिर से एक बार अपनी भावनाओं को दबा रहे हैं। जब आप समझ सकते हैं कि आप गलत नहीं हैं तो इस बात को स्वीकार करें।