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भगवान राम और माता सीता के वैवाहिक जीवन से जुड़ी वो 3 बातें, जो हर पति-पत्नी को सीखना चाहिए

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भगवान राम और माता सीता को शादीशुदा जोड़े का आदर्श माना जाता है। खासतौर से आज के जमाने के मैरिड कपल्स इनके वैवाहिक जीवन से कुछ अहम सबक ले सकते हैं, जो उन्हें मजबूत और खुशहाल शादीशुदा जिंदगी जीने में मदद कर सकते हैं। हम बता रहे हैं ऐसी ही 3 बातों के बारे में, जिन्हें पति-पत्नी को भगवान राम और माता सीता के रिश्ते से सीखना चाहिए।

त्याग

श्रीराम ने परिवार के सुख के खातिर राजपाठ छोड़ वनवास को चुना था। इस त्याग में उनकी पत्नी सीता ने भी साथ दिया। 14 सालों तक वन में रहने के लिए सीता को नहीं कहा गया, लेकिन पत्नी का धर्म निभाते हुए उन्होंने महल में रहने से ऊपर अपने पति के साथ को चुना।

पति-पत्नी का रिश्ता चाहे लव मैरेज के कारण बना हो या अरेंज्ड मैरेज के कारण, यह बात 100% सच है कि खुशहाल शादीशुदा जीवन के लिए दोनों ही स्थिति में कपल्स को त्याग तो करना ही पड़ता है। आजकल का त्याग भले ही श्रीराम और सीता जैसा न हो, लेकिन सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति-पत्नी को अपनी इच्छाओं का त्याग जरूर करना पड़ता है। खुद की खुशी से ऊपर साथी की खुशी को चुनना और कॉम्प्रोमाइज करना, ये भाव ही कपल को सही मायने में सुख-दुख का साथी बनाते हैं।

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बिना शर्त का और निस्वार्थ प्रेम

असली प्यार वही है जिसमें शर्त न हो। भगवान राम और माता सीता के बीच का प्रेम ऐसा ही था। उनके वैवाहिक जीवन से जुड़ी कोई भी बात किसी शर्त पर आधारित नहीं थी। मॉर्डन टर्म का यूज करें तो उनके बीच ‘सेल्फलेस लव’ था, यानी ऐसा प्यार जो पूरी तरह से निस्वार्थ था।

ऐसे कई कपल्स का उदाहरण देखने को मिलता है, जिनके रिश्ते की नींव ही किसी स्वार्थ पर आधारित होती है। उदाहरण के लिए ऐसा पति चुनना जो आर्थिक रूप से समृद्ध हो या फिर ऐसी पत्नी चुनना जो ‘ट्रॉफी वाइफ’ की तरह है। इस तरह के विवाह में जो प्यार होता भी है, उसे स्थिति बिगड़ने के साथ ही टूटने में देर नहीं लगती है। इतना ही नहीं इन कपल्स के बीच चीटिंग के चांस भी ज्यादा होते हैं।

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यही वजह है कि ऐसा जीवनसाथी चुनना चाहिए, जिससे सच्चा और बिना किसी शर्त के प्यार किया जा सके। शर्त या स्वार्थ पर टिका रिश्ता कभी ने कभी जरूर असफल हो ही जाता है।

ईमानदारी और कमिटमेंट
वैवाहिक जीवन में चाहे कोई भी मुश्किल आए, लेकिन एक-दूसरे के प्रति ईमानदार बने रहना और अपने कमिटमेंट से एक कदम भी पीछे नहीं हटना, यही सही मायनों में पति-पत्नी के रिश्ते को परिभाषित करता है। माता सीता का वैवाहिक जीवन भी ऐसा ही था और मॉर्डन कपल्स का रिश्ता भी ऐसा ही होना चाहिए।

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मुश्किल समय किसके जीवन में नहीं आता, लेकिन अगर कपल मिलकर इसका सामना करें, तो ये मुश्किलें भी ज्यादा समय तक नहीं टिक पातीं। दोनों का एक-दूसरे के प्रति विश्वास और प्यार ऐसी हिम्मत देता है कि कठिन समय भी हंसते-खेलते निकल जाता है और यह समय उनके रिश्ते को और मजबूत बना देता है।