Top Story

तुलसीदास की रामचरित मानस के इन दोहों में छिपा है जीवन का सार, सुखमय जीवन के लिए जरूर करें इन्हें फॉलो

Lord Rama- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/GOOD_MORNING_BLESSINGS Lord Rama

भगवान राम के भक्तों का इंतजार आज खत्म हो गया है। अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन की वो शुभ घड़ी आ गई है जिसका लोग कई साल से इंतजार कर रहे थे। ये दिन भगवान राम के भक्तों के लिए कितना खास है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि न केवल अयोध्या बल्कि कई शहरों में लोगों ने दीप जलाकर इस शुभ घड़ी का स्वागत किया। रामलला भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त 32 सेकेंड का है। इस शुभ अवसर पर पीएम मोदी अयोध्या आएंगे और भूमि पूजन में शामिल होंगे। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस लिखी है। रामचरित मानस में जीवन का सार छिपा है। इन्हें रोजाना पढ़िए और अपने जीवन में उतारने की कोशिश करिए।

32 सेकेंड का है राम मंदिर भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त, इस मंगल घड़ी के लिए दुल्हन की तरह सजी अयोध्या

जननी सम जानहिं पर नारी।

तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे ।।

इस दोहे में तुलसीदास जी ने नारियों के सम्मान का जिक्र किया है। इस दोहे में तुलसीदास जी कहते हैं कि जो पुरुष अपनी पत्नी के अलावा किसी और स्त्री को मां के समान ही समझता है उसी के दिल में ईश्वर का वास होता है। इसके विपरीत जो पुरुष दूसरी महिलाओं के साथ संबंध बनाता है वो पापी होता है। उससे ईश्वर हमेशा दूर ही रहते हैं।

धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी।

आपद काल परखिए चारी।।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने मनुष्य को बेहतर बनाने के लिए कुछ चीजों का जिक्र किया है। इस चौपाई में तुलसीदास जी ने कहा है कि धीरज, धर्म, मित्र और नारी की परीक्षा कठिन परिस्थितियों में ही की जा सकती है। 

सो परनारि लिलार गोसाईं। 

तजउ चउथि के चंद कि नाईं॥

तुलसीदास ने इस दोहे के जरिए स्त्री के सम्मान को सुरक्षित करते हुए मनुष्य को बुरी नजर से बचने को कहा है। इस दोहे में तुलसीदास जी कहते हैं कि जो व्यक्ति अपना कल्याण, यश, सुबुद्धि, गति और जितने प्रकार के सुख चाहता है वो दूसरी स्त्री का मुख न देखे। जिस तरह लोग चौथ के चंद्रमा को नहीं देखते।

मूढ़ तोहि अतिसय अभिमाना।

नारी सिखावन करसि काना।।

इस दोहे में तुलसीदास जी इस बात का जिक्र कर रहे हैं कि अगर कोई आपसे आपके भले की बात करें तो अपने अभिमान को भूलकर उसे स्वीकार करने में ही भलाई है। इस दोहे में तुलसीदास रामचरित मानस के इस दोहे में श्री राम सुग्रीव के बड़े भाई बाली के सामने एक स्त्री का सम्मान करते हुए कहते हैं कि दुष्ट बाली! तुम अज्ञान पुरुष हो लेकिन अभिमान के चलते तुमने अपनी विद्वान पत्नी की बात भी नहीं मानी और तुम हार गए। 

तुलसी साथी विपत्ति के, विनय विवेक ।

साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।।

तुलसीदास जी इस दोहे में कहना चाहते हैं कि मुश्किल वक्त में कुछ चीजें ही मनुष्य का साथ देती हैं। ये चीजें हैं ज्ञान, विनम्रता, विवेक, साहस, अच्छे कर्म , सत्य और भगवान राम का नाम।

कोरोना से जंग : Full Coverage