महंगी सब्जियों ने बिगाड़ा रसोई का बजट
Publish Date: | Tue, 06 Oct 2020 04:07 AM (IST)
महंगी सब्जियों ने बिगाड़ा रसोई का बजट-
– लौकी और कद्दू को छोड़ बाकी सब्जियों के भाव 60 रुपये प्रतिकिलो से ज्यादा
– 300 रुपये किलो तक मिल रहा धनिया
भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि
महंगी हरी सब्जियों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। शहर में पिछले डेढ़-दो महीने से सब्जी के भाव आसमान छू रहे हैं। आलू-प्याज 40 तो टमाटर 80 से 100 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है। एक किलो हरा धनिया के लिए 250 से 300 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। कद्दू और लौकी को छोड़ दें तो भिंडी, बैंगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, गिलकी, पालक समेत ऐसी कोई सब्जी नहीं जो 60 रुपये किलो से कम हो। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए चाय और मसाले में डाले जाने वाला अदरक भी 120 रुपये किलो में बिक रहा है। पालक और लाल भाजी भी महंगी ही है। थोक व्यापारियों का कहना है कि अधिक बारिश के कारण स्थानीय स्तर पर फसल खराब हो गई थी। ऐसे में दूसरे प्रदेशों से सब्जी मंगवाई जा रही है। मांग की तुलना में आवक कम है, इसलिए भाव बढ़े हुए हैं। स्थानीय स्तर पर आवक होने में महीनेभर का समय लगेगा, तब तक भाव कम होने की उम्मीद नहीं है।
भोपाल : इतनी मांग और आपूर्ति
8000 क्विंटल शहर में प्रतिदिन की सब्जी की खपत
3000 क्विंटल ही हो रही आवक
80 फीसद हिस्से में करोंद मंडी से पहुंचती है सब्जी
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सब्जी के भाव में ऐसे आया उछाल
सब्जी- 1 सितंबर- वर्तमान भाव
आलू- 30 से 35 35 से 40
टमाटर- 70 से 80 80 से 100
प्याज- 15 से 20 30 से 40
हरा धनिया- 100 से 120- 250 से 300
भिंडी- 30 से 40- 60 से 70
फूल गोभी- 40 से 50- 80 से 100
हरी मिर्च- 80 से 100- 100 से 120
अदरक- 60 से 80- 100 से 120
गाजर- 30 से 40- 60 से 80
गिलकी- 30 से 40- 50 से 60
लौकी- 10 से 15- 30 से 40
कद्दू- 15 से 20- 30 से 40
नोट : भाव फुटकर व्यापारियों के अनुसार। क्षेत्रों के हिसाब से थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है।
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यहां से आ रही सब्जी
– गुजरात से करेला, बैंगन व लौकी, महाराष्ट्र से टमाटर, अदरक व मिर्च, उत्तर प्रदेश से कद्दू व लौकी, बड़वानी से खीरा।
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– महीनेभर से महंगी सब्जियां खरीद रहे हैं। पहले की तुलना में अभी दोगुनी राशि खर्च करना पड़ रही है।
आशा जैन, कान्हाकुंज
– कोरोना संक्रमण में सब्जियां महंगी हो गई है। इसका असर किचन पर पड; रहा है।
सुमित्रा डे, कोलार
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– आसपास के जिलों से सब्जी की आवक बंद हो गई है, इसलिए अन्य प्रदेशों से मंगवा रहे हैं। इस कारण थोक में भाव अधिक होते हैं, जो फुटकर में दोगुने हो जाते हैं।
मोहम्मद इरशाद, थोक व्यापारी
Posted By: Nai Dunia News Network
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