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एक दिन में 107 मौतें, यहां मरीजों को हम मरते देख रहे... छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल का सच!

रायपुर छत्तीसगढ़ में कोरोना तांडव कर रहा है। सरकारी दावों से इतर अस्पतालों में इलाज के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। कोविड मरीजों के लिए छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल में बेड नहीं हैं। बदइंतजामी का आलम यह है कि उनके इलाज में लगे जूनियर डॉक्टरों को पहनने के लिए एन-95 मास्क और पीपीआई किट तक नहीं मिल रहे हैं। इस वजह से ज्यादातर जूनियर डॉक्टर संक्रमित हो रहे हैं। इससे नाराज होकर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। नवभारत टाइम्स.कॉम से बातचीत के दौरान डॉ अंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की पूरी कहानी बताई है। इनके आरोपों ने सरकारी दावों की कलई खोलकर रख दी है। कोरोना के भयावह स्तर पर पहुंचने के बावजूद इससे निपटने के इंतजाम अस्पतालों में नहीं हैं। इसकी वजह से मरीजों की मौत भी सबसे ज्यादा हो रही है। सोमवार की बात करें तो पूरे देश में 879 कोविड मरीजों की मौत हुई है, इसमें अकेले 107 छत्तीसगढ़ से हैं। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां हालात क्या हैं। बहुत खराब है स्थिति वहीं, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने भी माना है कि राज्य में कोरोना की वजह से स्थिति खराब है। पॉजिटिविटी दर भी बढ़ रही है। साथ ही मैं यह नहीं कह सकता कि केंद्र की तरफ से जानबूझकर खराब वेंटिलेटर भेजे गए थे, लेकिन कुछ वेंटिलेटर अभी भी काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी मरीजों की देखभाल करना है, हम अन्य व्यवस्था नहीं कर सकते। मैंने इसके बारे में जिला प्रशासन से बात की है। शवों को रखने के लिए और इंतजाम किए गए हैं। हमारे पास कुछ नहीं नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल के जूनियर डॉक्टर प्रेम मेकाहारा ने कहा कि हम मजबूरी में स्ट्राइक पर गए हैं। हमलोग बीते एक साल से कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रहे हैं। छह से आठ घंटे तक हम पीपीई किट पहने रहते हैं। अस्पताल की व्यवस्था हमारे कार्य करने के अनुकूल बिल्कुल नहीं है। हमें न तो पीपीई किट मिल रहा, न मास्क मिल रहा और न ही ग्लव्स मिल रहा है। कोविड मरीजों के लिए हमारे अस्पताल में बेड नहीं है। मरीजों को यह बताया जा रहा है कि हमारे अस्पताल में बेड नहीं है। हमारे ऊपर मरीज निकाल रहे गुस्सा अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स बता रहे हैं कि मरीजों को जब इलाज नहीं मिलता है तो वह गुस्सा हमारे ऊपर निकालते हैं। मरीजों को फेस हमलोग करते हैं तो परेशानी हमें होती है। प्रशासन को हमलोग इन परेशानियों से तीन-चार बार अवगत करा चुके हैं कि यहां की स्थिति गंभीर है। मरीज के परिजन आए दिन अस्पताल में हंगामा कर रहे हैं। डॉ प्रेम ने बताया कि यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा अस्पताल है। कोरोना से हमारा राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित है। ज्यादातर मरीज यहीं पर इलाज के लिए आते हैं। मगर हमारे लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है। हमारे लिए कूलर तक नहीं है। मरीजों के परिजनों का हंगामा वाजिब है क्योंकि उनके परिवार के लोग मर रहे हैं। हम किसी तरह से कोविड मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हमारे एसोसिएशन के लोगों ने तंग आकर हड़ताल का फैसला लिया है। अस्पताल में बेड नहीं उन्होंने बताया कि हमारे अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन और आईसीयू बेड बिल्कुल भी खाली नहीं है। अगर मरीजों को हमलोग यहां लौटा देंगे तो वह इलाज कहां करवाएगा। वहीं, डॉ गौरव सिंह परिहार ने बताया कि पिछले एक साल से हम बिना रुके और थके काम कर रहे हैं। इस दौरान हमारे कई साथी भी संक्रमित हुए। हमारे अस्पताल के जूनियर डॉक्टर अब निराश रहे हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि कोविड एडमिशन एरिया के बाहर लोग पड़े हुए हैं। उन्हें ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहा है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है, वह जमीन पर लेटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसे लेकर हमारे जिम्मेदार लोग कहते हैं कि मरीजों से कह दो कि यहां बेड नहीं है। 'तड़पते मरीज को कैसे बोलें कि बाहर ले जाओ' डॉ गौरव ने अस्पताल की हालत को बयां करते हुए कहा कि हम किसी तड़पते हुए मरीज को कैसे बोलें कि इसे बाहर ले जाओ। ऑक्सीजन न मिलने पर उनकी मौत भी हो सकती है। गरीब आदमी अगर सरकारी अस्पताल में नहीं आएगा तो वह इलाज के लिए कहां जाएगा। हमलोग इमोशनली उनसे जुड़कर इलाज करते हैं। वहीं, दूसरे जूनियर डॉक्टर अविनाश ने कहा कि हम ड्यूटी के बाद जाते हैं तो मरीजों को मरते देखते हैं क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन बेड नहीं हैं। हम ऐसे कैसे देख सकते हैं। सरकारी सारी चीजें देखकर भी उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है। सरकार ने प्रदेश में बेड बढ़वाने की जगह क्रिकेट मैच करवाया है।


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