ब्लॉगः संघ के सामने हैं कई अनसुलझे सवाल
संघ परिवार अगर आज विरोधी खेमों के नेताओं में दिख रही निष्ठावान हिंदू साबित करने की होड़ को अपने लाखों कार्यकर्ताओं के परिश्रम, पुरुषार्थ और बलिदान का परिणाम मानता है तो यह स्वाभाविक है। प्रश्न है कि क्या यही पर्याप्त भी है? इसका उत्तर है, नहीं। वास्तव में इन सारे संगठनों के लिए अपनी जिम्मेदारियों का नए सिरे से आकलन कर उसके निर्वहन की ओर अग्रसर होने का समय आ गया है।
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