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बंगाल के रण में ममता के पांव उखड़ रहे हैं? TMC के 'दोस्त' ने बताया सबकुछ

हिमांशु तिवारी/विश्व गौरव, दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग हिल एरिया में तीन विधानसभा सीटें हैं। दार्जिलिंग, कलिम्पॉन्ग, कर्सियॉन्ग। वर्ष 2017 में जब गोरखालैंड की मांग को लेकर हिंसक आंदोलन हुए तो गोरखा जनमुक्ति मोर्चा दो हिस्सों में बंट गई। एक धड़े के चीफ विमल गुरुंग और दूसरे गुट के विनय तमांग हैं। दोनों ही गुट खुद को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की चीफ ममता बनर्जी का करीबी बताते हैं। विनय तमांग से नवभारत टाइम्स ऑनलाइन ने बात की। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के एक गुट के नेता विनय तमांग कहते हैं, 'वर्ष 2019 में जो समीकरण थे, वह विधानसभा चुनाव तक आते-आते डेढ़ साल में बदल गए हैं। हां, ऐसा हो सकता है कि टीएमसी की इस बार दो-चार सीटें कम आएं लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार बनाएगी और ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनेंगी।' 'बीजेपी से है सीधा मुकाबला' विनय तमांग ने कहा, 'हमारा सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है। भारतीय जनता पार्टी या बीजेपी के दिग्गज नेता वे डबल स्टैंडर्ड हैं। पहाड़ों पर जब वे होते हैं तो वह दूसरी बात कहते हैं और अन्य क्षेत्रों में उनकी जुबान बदल जाती है। चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं को दार्जिलिंग और गोरखाओं की याद आती है, फिर वे बात भी सुनना पसंद नहीं करते हैं। गोरखाओं पर बीजेपी की अच्छी नजर नहीं है।' 'विमल गुरुंग कर रहे हैं ब्लैकमेल' गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दूसरे धड़े के नेता विनय तमांग ने कहा, 'विमल गुरुंग कोई फैक्टर नहीं है। गोरखा लैंड के मुद्दे पर विमल गुरुंग पहाड़वासियों को इमोशनल ब्लैकमेल कर रहे हैं। यह विधानसभा चुनाव है। रही बात गोरखा लैंड के मुद्दे की तो यह संवैधानिक मुद्दा है। इसकी हम लोग केंद्र से बात करेंगे, जो चीज राज्य सरकार हमें दे सकती है, उसे हमने अपने घोषणा पत्र में रखा है। म्युनिसिपल इलेक्शन में भी वह गोरखा लैंड का मुद्दा लेकर आए, वह इमोशनल ब्लैकमेल कर रहे हैं। मैं बहुत स्पष्ट हूं। आप खुद ही सोचिए कि हम हार्डवेयर की दुकान पर राशन मांगेंगे तो नहीं मिलेगा। कुछ इसी तरह से गोरखा लैंड का मुद्दा है।'


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