ग्लूकोज-नमक से 80 रुपये में तैयार करते नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, गुजरात से लाकर एमपी में बिक्री

इंदौर कोरोना काल में रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग सबसे ज्यादा है। पूरे देश से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की खबरें आ रही हैं। इंदौर पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके ऊपर रासुका के तहत कार्रवाई होगी। इस दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बताया जा रहा है कि आरोपी ग्लूकोज और नमक से रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार करते थे। पुलिस ने बताया कि गुजरात में ये लोग अवैध माल तैयार करते थे। उसके बाद मुंबई के रास्ते एमपी में सप्लाई करते थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार पूछताछ में यह बात सामने आई है कि ये आरोपी ग्लूकोज और नमक से रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार करते थे। इसकी लागत 80 रुपये के बराबर आती थी और ब्लैक में नकली इंजेक्शन को ये लोग 35 हजार से एक लाख रुपये तक में बेचते थे। यह जानकारी सामने आई है कि ये लोग सूरत के पास मोरबी स्थित एक फॉर्म हाउस में नकली इंजेक्शन तैयार करते थे। ऐसे तैयार होता था माल बताया जा रहा है कि आरोपी कौशल वोरा सूरत में मास्क और ग्लव्स का कारोबार करता है। अपने पार्टनर पुनीत शाह के साथ मिलकर उसने एक लाख नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन देश में खपाए हैं। इंदौर, भोपाल और ग्वालियर में इस गिरोह के लोगों ने 3000 के करीब इंजेक्शन खपाए हैं। पुलिस पूछताछ में यह बात सामने आई है कि कबाड़ से आरोपी रेमडेसिविर की खाली बोतलें खरीदते थे। उसके बाद रैपर मुंबई में तैयार करवाते थे। उन बोतलों में नकली रेमडेसिविर भरकर उसे पैक कर देते थे और देश के विभिन्न राज्यों में इनके गिरोह के लोग बेचते थे। इंदौर पुलिस के अनुसार इस पेशे से जुड़े ज्यादातर लोग नॉन मेडिकल बैकग्राउंड से हैं। सूरत में फॉर्म हाउस से नकली मार बरामद होने के बाद गुजरात पुलिस एमपी के जबलपुर में भी छापेमारी की है। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने इंदौर लिंबोदी में रहने वाले सुनील मिश्रा को करीब एक हजार इंजेक्शन दिए थे। पुलिस ग्राहक बनकर पहुंची दरअसल, नकली इंजेक्शन पर एक ही बैच नंबर थे। पुलिस ने बताया कि हमलोग आरोपियों तक ग्राहक बनकर पहुंच रहे हैं। विजयनगर थाने के कॉन्स्टेबल भरत बड़े ने आरोपियों से रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदी थी। सभी के बैच नंबर एक मिलने के बाद पुलिस को आरोपियों के खिलाफ लिंक मिली थी। पुलिस पूछताछ में यह बात सामने आई है कि सूरत वाले व्यापारी दूसरे प्रदेश के दलालों को छह हजार में एक रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचते थे। उसके बाद बड़े दलाल अपने लोगों के जरिए शहर में इस नकली इंजेक्शन को बेचता था।
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