कोरोना की वजह से घरों में 'कैद' बच्चे बन रहें हिंसक और आक्रामक, डॉक्टर के पास पहुंच रहे पैरेंट्स

भोपाल कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच भोपाल में पैरेंट्स ने अपने बच्चों पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। घरों से बाहर निकलना तो दूर, घर के अंदर भी कई तरह के प्रतिबंध बच्चों पर हैं। जानकार बता रहे हैं कि तीसरी लहर में ज्यादातर बच्चों पर खतरा है। पाबंदियों के बीच घरों में इसके विपरीत परिणाम आ रहे हैं। बच्चे स्कूल बंद होने की वजह से पिछले एक साल से स्ट्रेस में हैं, दूसरी लहर के दौरान बच्चों में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बच्चे अब एग्रेसिव और हिंसक हो रहे हैं, जिसकी वजह से पैरेंट्स मनोचिकित्सक के संपर्क में जा रहे हैं। भोपाल के पैरेंट्स सर्वेश वर्मा ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि पिछले साल मैं कोविड से संक्रमित था। सर्वेश एक पांच वर्षीय बच्चे के पिता हैं। कोविड से संक्रमित होने के बाद उनके अंदर डर इस तरह विकसित हो गया है कि उन्होंने सभी लोगों को घर में रहने को कहा है। साथ ही बच्चों की आवाजाही पर हर तरह की पाबंदी लगा दी है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से मैंने देखा है कि मेरे बच्चा हर चीज पर रिएक्ट करने लगा है। वह हिंसक भी हो जाता है। किसी ने मुझे एक मनोवैज्ञानिक से परामर्श करने के लिए कहा। डॉक्टर ने मुझे अपने बेटे के साथ-साथ परिवार के साथ भी अपना व्यवहार बदलने के लिए कहा। उन्होंने मुझे भी शांत रहने के लिए कहा। साथ ही घर में कोविड के बारे में कम बात करने की सलाह दी। उसके बाद कुछ ही दिन के अंदर मैंने अपने बटे के व्यवहार में बदलाव देखा। सर्वेश वर्मा ने कहा कि मैंने बच्चे के मनोविज्ञान को समझने में गलती की क्योंकि वह एक साल से घर के अंदर कैद था। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में घर में प्रतिबंध जरूरी है लेकिन मैं घर पर अच्छा माहौल बनाकर इसकी भरपाई कर सकता हूं। अब मैंने अपने व्यवहार में बदलाव किया तो घर में कई चीजें बदल गईं। कोरोना काल में सर्वेश अकेले पिता नहीं हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के व्यवहार में इस तरह के अचानक बदलाव देखे हैं। मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण समय है क्योंकि उनके बच्चे विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। डॉक्टर ने कहा कि जब से महामारी सामने आई है, माता-पिता मेरे पास इस समस्या को लेकर आ रहे हैं, जैसे उनके बच्चे अधिक आक्रामक हो रहे हैं और अलग तरह से काम कर रहे हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसे हमें गहराई से समझना होगा। पैरेंट्स को उन्होंने सुझाव दिया है कि घर में शांत वातावरण विकसित करना चाहिए। बच्चे अभी घर पर अधिक समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं। ऑनलाइन क्लास की वजह से गैजेट्स के साथ बैठना उनकी आदत हो गई है। उन्होंने कहा कि जब बच्चे बाहर नहीं जा रहे होते हैं, तो वे गैजेट्स के साथ अधिक समय बिताते हैं। डॉक्टर ने पैरेंट्स को सलाह दिया है कि हम घर में ऐसा माहौल बनाएं कि ज्यादा से ज्यादा वक्त अपने बच्चों के साथ व्यतीत करें। उन्हें कैरम और शतरंज के साथ अन्य इनडोर खेलों के लिए प्रोत्साहित करें। अलग-अलग विषयों पर उनसे बात करें। माता-पिता घबराएं नहीं, बच्चों के साथ सकारात्मक बातें करें।
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