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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक की मांग, दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई को हुआ राजी

नई दिल्ली कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यहां सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर रोक लगाने के लिये दायर जनहित याचिका पर शीघ्र सुनवाई का दिल्ली उच्च न्यायालय से सोमवार को अनुरोध किया गया। वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया जिस पर अदालत ने कहा कि इसके पहले अर्जी दायर की जाए। लूथरा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सात मई को याचिकाकर्ताओं से कहा था कि यदि वे याचिका पर शीघ्र सुनवाई चाहते हैं तो वे दिल्ली उच्च न्यायालय जायें और इसी वजह से उन्होंने उच्च न्यायालय में इस मामले का जिक्र किया। याचिकाकर्ताओं आन्या मल्होत्रा और सोहेल हाशमी उच्च न्यायालय के चार मई के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुचे थे जिसमें अदालत ने जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए 13 दिन के बाद यानी 17 मई की तारीख तय की थी। अदालत ने कहा था कि वह पहले उच्चतम न्यायालय के पांच जनवरी के फैसले पर गौर करना चाहती है। अदालत ने कहा था कि वह देखना चाहती है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर आगे बढ़ने की मंजूरी देते हुए शीर्ष अदालत ने क्या कहा है। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय में दायर याचिका में दलील दी थी कि यह परियोजना आवश्यक गतिविधि नहीं है और इसलिए, महामारी के मद्देनजर इस पर रोक लगाई जा सकती है। लूथरा ने पीठ से कहा था कि यह मामला अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि देश एक अभूतपूर्व मानवीय संकट का सामना कर रहा है। उन्होंने सोमवार को मामले की शीघ्र सुनवाई का अनुरोध करते हुए अदालत में भी यही दलील दी। शीघ्र सुनवाई की अर्जी पर 11 मई को उच्च न्यायालय में सुनवाई हो सकती है। लूथरा ने कहा था कि जब देश में लॉकडाउन पर विचार कर रहा है और यहां तक कि इंडियन प्रीमियर लीग को भी स्थगित कर दिया गया है, ऐसे में निर्माण गतिविधि को अनुमति नहीं दी जा सकती। इस परियोजना के तहत एक नए संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर के निर्माण की परिकल्पना की गई है जिसमें प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के आवास के साथ-साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है।


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