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कोरोना से एक व्यक्ति की 'दो' बार मौत, अर्थी पर शव रखते ही चलने लगी सांसें, फिर उसी एंबुलेंस से भागे अस्पताल!

ग्वालियर कोरोना से एक ही दिन में एक व्यक्ति की ग्वालियर में कथित रूप से दो बार मौत हुई है। यह चौंकाने वाली घटना ग्वालियर में घटी है। परिजनों का दावा है कि कोरोना से मौत के बाद एक युवक फिर से जीवित हो गया था। अर्थी पर शव रखने के बाद उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और मुंह से झाग निकलने लगा। परिजनों तत्काल पल्स मीटर लगाकर चेक किया तो पल्स 80 था। उसके बाद परिजनों ने राहत की सांस ली। फिर लोग अस्पताल की तरफ भागने लगे। परिजनों ने बताया कि करीब पांच अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद किसी ने युवक को भर्ती नहीं किया और उसके बाद परिजन JAH लेकर पहुंचे। यहां कुछ देर तक डॉक्टरों ने चेक किया और ऑक्सीजन लगाई, लेकिन आखिर में डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया। यह घटना मुरार के कृष्णपुरी इलाके में हुई है। दरअसल, मुरार के कृष्णपुरी निवासी 26 वर्षीय आयुष श्रीवास्तव मुंबई की एक कंपनी में जॉब करता था। वहां कोरोना को लेकर हालात बिगड़े तो कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम कर दिया। आयुष अपना सामान समेट कर ग्वालियर घर आ गया। यहीं से वह काम कर रहे थे। कुछ दिन पहले अचानक आयुष की तबीयत खराब हो गई। परिजन ने आयुष को निजी KDJ हॉस्पिटल में 3 मई को भर्ती कराया था। आज 11 मई मंगलवार सुबह 10 बजे आयुष को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। चलने लगी सांसें डॉक्टरों के मृत घोषित करते ही आयुष के घर में चीख पुकार मच गई। परिजन शव लेकर घर पहुंचे। यहां उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी। तभी शव को अर्थी पर रखा गया तो आयुष के चेहरे पर अचानक मुस्कुराहट दिखी। मुंह से झाग भी निकलने लगा। यह देखकर परिजन आश्चर्य चकित हो गए। अचानक यहां सब देख उसकी अंगुलियों पर पल्स मीटर लगाया तो पल्स रेट 80 दर्ज की गई। सांसे भी चलने लगीं। पांच अस्पतालों ने भर्ती नहीं लिया परिजन ने वहीं खड़ी एंबुलेंस में उसे लेटाया और क्षेत्र के पांच निजी अस्पतालों में ले गए लेकिन किसी ने उसे भर्ती नहीं किया। उसके बाद परिजन जयारोग्य अस्पताल लेकर पहुंचे तो वहां डॉक्टरों ने ऑक्सीजन लगाकर प्रयास किया लेकिन दोपहर 4 बजे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन वापस शव लेकर घर लौट आए और अंतिम संस्कार किया है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा संभव नहीं होता है। कई बार मौत के बाद इंसान का शरीर गर्म रहता है कि इसकी वजह से गतिविधियां हो जाती हैं। इससे लोगों को लगता है कि मरीज जिंदा है। मगर ऐसा कुछ होता नहीं है।


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