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कोविड के लक्षण हैं फिर भी निगेटिव क्यों? ऐसी स्थिति में आगे क्या करें? समझिए

नई दिल्ली कई बार कोरोना के लक्षणों के बाद भी आरटीपीसीआर की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है जबकि इस टेस्ट को काफी भरोसेमंद माना जाता है। आखिर ऐसे क्यों होता है और अगर किसी के साथ ऐसा हुआ तो उसे क्या करना चाहिए? आइए जानते हैं।
  1. लक्षण के बाद भी निगेटिव रिपोर्ट आना क्या है?अगर किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण हो लेकिन टेस्ट रिपोर्ट् निगेटिव आ रही है तो इसे मेडिकल टर्म में 'फॉल्स निगेटिव' कहा जाता है।
  2. 'फॉल्स निगेटिव' किन वजहों से संभव है?- एक्सपर्ट्स आरटीपीसीआर को काफी विश्वसनीय मानते हैं। फिर भी इस टेस्ट में भी 'फॉल्स निगेटिव' निगेटिव रिजल्ट आ रहे हैं तो इसकी कई वजहें हो सकती हैं। इसके लिए नाक और गले से स्वैब लिया जाता है। - अगर स्वैब सही से नहीं लिया गया तो रिजल्ट भी सही नहीं आएगा। - वायरस में लगातार हो रहा म्यूटेशन भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। कुछ वैरिएंट टेस्ट में डिटेक्ट नहीं हो पा रहे। - टेस्ट की टाइमिंग भी महत्वपूर्ण है। अगर लक्षण के ठीक बाद टेस्ट कराए तो हो सकता है कि संक्रमण के बावजूद रिपोर्ट निगेटिव आए। इसलिए लक्षण दिखने के 2 से 7 दिनों के बीच टेस्ट कराए तो फॉल्स रिपोर्ट की संभावना कम होगी।- वायरल लोड अगर कम रहा तब भी हो सकता है कि वायरस आरटीपीसीआर में डिटेक्ट न हो।
  3. किन लक्षणों को न करें नजरअंदाज?अगर लॉस ऑफ स्मेल और लॉस ऑफ टेस्ट यानी गंध या स्वाद में से कोई एक या दोनों महसूस नहीं हो रहे तो निगेटिव रिपोर्ट के बाद भी संभल जाना चाहिए। ये दोनों ही कोरोना के लक्षण है। अगर दवा लेने के बाद भी पिछले 2-3 दिनों से बुखार नहीं उतर रहा, बहुत ज्यादा थकान महसूस हो, गले में लगातार खराश हो, दस्त ठीक न हो रहा हो या लगातार पेट में मरोड़ और दर्द हो तो भी सतर्क हो जाना चाहिए।
  4. लक्षण के बाद भी आरटीपीसीआर में निगेटिव रिपोर्ट हो तो क्या करें?अगर लक्षणों के बावजूद आरटीपीसीआर की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई हो तो आपको खुद को 5-7 दिनों के लिए आइसोलेट कर लेना चाहिए। अगर आप खुद को कोरोना निगेटिव मानकर बाकी लोगों के संपर्क में आएंगे तो डॉक्टर से सलाह लेकर जरूरी दवाएं लें। पल्स ऑक्सिमीटर से ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल भी जांचते रहे। 95 से ऊपर ऑक्सिजन लेवल सामान्य होता है। 2-3 दिन बाद फिर से आरटीपीसीआर टेस्ट करा सकते हैं। अगर लक्षण ज्यादा गंभीर दिख रहे हैं तो बिना देरी किए HRCT यानी हाई रिजॉलूशन सीटी स्कैन टेस्ट कराना चाहिए। इसके जरिए अगर मरीज के फेफड़े में किसी तरह का संक्रमण होता है तो उसका पता चल जाएगा।


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