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जानिए कैसे अपने बेहद खास शहाबुद्दीन के लिए RJD सुप्रीमो लालू सबसे भिड़ गए थे

पटना: लंबे वक्त के जमानत को तरस रहे चारा घोटाले के आरोपी और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आखिरकार किसी तरह से बेल मिल गई। मगर अब जब लालू बाहर निकलेंगे तो उन्हें अपने सबसे खास सिपहसालार की कमी बेहद ज्यादा खलने वाली है। लालू बाहर आए तो खास सिपहसालार ही दुनिया छोड़ गया RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का सबसे खास सिपाही, जो महागठबंधन की सरकार बनने के बाद फौरन जमानत पर बाहर आया। उसने साफ कह दिया कि नीतीश परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं और लालू ही उसके नेता हैं। वो शहाबुद्दीन जब अस्पताल में कोरोना की वजह से अंतिम सांसे गिन रहा था तो शायद लालू उनकी जिंदगी के लिए दुआएं मांग रहे थे। लेकिन सबकुछ तो परिस्थितियों का ही खेल है। लाख कोशिशों के बावजूद लालू के खासमखास शहाबुद्दीन की जान डॉक्टर नहीं बचा पाए। दिल्ली के एक अस्पताल में उसने अंतिम सांस ली। ये तय था कि जैसे ही लालू बाहर आते तो शायद उनके पहले दिन में एक बार तो किसी भी हाल में बात शहाबुद्दीन के घरवालों से होती। लेकिन लालू के लिए अफसोस का मसला यही है कि जब वो बाहर निकले तो शहाबुद्दीन दुनिया छोड़ चुके थे। शहाबुद्दीन के लिए जमाने से टकरा जाते थे लालू बात उस वक्त की है जब लालू और शहाबुद्दीन की बातचीत का एक ऑडियो एक मीडिया चैनल ने ऑन एयर कर दिया। बात करीब 5 साल पहले की है। एकऑडियो क्लिप ने बिहार की राजनीति में तूफान ला दिया था। न्यूज चैनल रिपब्लिक ने दावा किया था कि जेल में बंद अपराधी शहाबुद्दीन ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से फोन पर बात की है। करीब एक मिनट के ऑडियो में लालू और शहाबुद्दीन की आवाज बताई गई। शहाबुद्दीन बताया गया शख्स लालू से सीवान के एसपी की शिकायत कर रहा था। "आपका एसपी खत्म है भाई। सबको हटाइए, नहीं तो एक दिन दंगे करवा देंगे' उस वक्त लालू की पार्टी आरजेडी बिहार में नीतीश सरकार में बड़ी सहयोगी थी। पढ़िए क्या बात सुनी गई थी उस ऑडियो टेप में दावा- लालू यादव का फोन बजता है। उनका सहयोगी उपेंद्र फोन उठाकर कहता है- हां सर प्रणाम। शहाबुद्दीन- क्या हाल है उपेंद्र? उपेंद्र- ठीक है भइया। शहाबुद्दीन- कहां हैं लालू जी? उपेंद्र- बैठे हुए हैं। शहाबुद्दीन- फ्री हैंतो दो उनको। उपेंद्र- अच्छा देते हैं। लालू- हैलो शहाबुद्दीन- जी प्रणाम लालू- बोलो शहाबुद्दीन- जरा,सीवान की भी खबर ले लीजिए। लालू- सीवान के मीरागंज का तो सुना है। शहाबुद्दीन- सीवान में ज्यादा है। उस दिन भी छाता वाला हम बताए हैं। आज नवमी था। पुलिस का डेपुटेशन करना चाहिए था। लालू- नहीं किया था? शहाबुद्दीन- नहीं,नहीं, कुछ नहीं। खतम है भाई एसपी आपका। हटाइए ये सबको। एक दिन दंगे करवा देंगे। लालू- आज कुछ हुआ है। शहाबुद्दीन- हमको लगता है पुलिस के तरफ से गोली भी चली है। लालू- फायरिंग किया है। कहां पर? शहाबुद्दीन- नवलपुर में तो ईट पत्थर चला था, लेकिन विधायक जी भी किसी से बात कर रहे थे तो इनको बताए लोग कि वहां कोई गोली चली है, पुलिस फायरिंग में। लालू- कहां पर? शहाबुद्दीन- पता कर लीजिए। लालू- लगाओतो एसपी को। सजायाफ्ता शहाबुद्दीन को भी लालू ने पार्टी में दी थी बड़ी जगह लालू के लिए शहाबुद्दीन कितने खास थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के कुछ महीनों बाद ही लालू ने उन्हें पार्टी में बड़ा पद दिया था। 2016 में लालू यादव ने जेल में बंद बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन को राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी जगह दी थी। तब इस पर तत्कालीन विपक्षी बीजेपी ने लालू पर तीखा हमला बोला था। कई और भी ऐसे मौके थे जब लालू ने खुल्लमखुल्ला ताल ठोककर शहाबुद्दीन का पक्ष लिया था। एक न्यूज चैनल के इंटरव्यू में तो लालू ने खुल कर शहाबुद्दीन का साथ दिया था। कुछ साल पहले पत्रकार प्रभु चावला ने लालू से पूछा था कि आपके जो लोग हैं बूटा सिंह (बिहार के पूर्व राज्यपाल) जैसे जो ऐसे अफसरों को ट्रांसफर कर देते हैं। शहाबुद्दीन जैसे आदमी को छोड़ दिया जाता है। तो नजरिया तो गलत बनेगा। तीन-तीन वॉरंट हों, फिर भी पकड़ नहीं पाते। इस पर लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि 'एक गलत अफसर ने पक्षपाती होकर के गलत केस किया। केस हुआ न्यायपालिका में। वे कानून मानने वाले नागरिक हैं।' इस पर जब प्रभु चावला ने पूछा कि 'आपको लगता है शहाबुद्दीन दुध के धुले हैं। उनके खिलाफ कोई क्रिमिनल केस नहीं हैं। उनको अरेस्ट नहीं किया जाना चाहिए।' इस पर लालू ने खुल्लमखुल्ला कहा था कि 'कौन दूध का धुला है इस देश में। क्रिमिनल केस बनावटी है। वो जाएंगे सरेंडर करेंगे।'


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