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एमपी की 'फोगाट बेटियां', मजदूर पिता ने खेत में दौड़ाकर तीनों को बनाया खिलाड़ी, एथलीट हंट में मिलेगा मौका

सागर एमपी के बीना में किसान पिता (Farmers Trained Athlete Daughters) ने अपनी तीन बेटियों को खेत में प्रैक्टिस करवाकर खिलाड़ी बना दिया है। अपनी बेटियों के किसान खेत में ट्रैक (Running Track In Farm For Athlete Daughter) बनवाया था। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में खबर छपने के बाद खेल विभाग ने इस पर संज्ञान लिया है। साथ ही अब एमपी की 'फोगाट बेटियों' को एथलीट हंट में मौका देने का आश्वासन दिया है। अगर इसमें ये लड़कियां सफलता हासिल कर लेती हैं तो उन्हें एथलीट एकेडमी में मौका मिल जाएगा। दरअसल, बीना में तीनों एथलीट खेत में प्रैक्टिस करते थे। उन्होंने एथलीट एकेडमी में एडमिशन का मौका मिला है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए एमपी के खेल सचिव पवन जैन ने कहा कि विभाग हमेशा ऐसी प्रतिभाओं की मदद के लिए मौजूद है। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण टैलेंट हंट बंद है। हम लोग कोशिश करेंगे कि जुलाई से शुरू हो जाए। पवन जैन ने कहा कि इन प्रतिभाशाली लड़कियों को मौका मिलेगा। अगर उनमें क्षमता होगी तो वह अकादमी में होंगे। रियल लाइफ की दंगल गर्ल को इनके किसान पिता खेत और रेलवे ट्रैक पर ट्रेंड कर रहे हैं। कोरोना की वजह से राज्य में सारी खेल सुविधाएं बंद हैं। बीना तहसील के करोंद गांव में रहने वाले विनोद रजक अपनी तीन बेटियों काजल, आस्था और पूजा के साथ हर दिन 15-20 किलोमीटर का दौड़ लगाते हैं। बीना शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर और भोपाल से 174 किलोमीटर दूर करोंद गांव में करीब 200 लोग रहते हैं। हर दिन इस गांव में तीनों प्रैक्टिस करते हैं। तीनों लड़कियां नेशनल स्कूल की एथलीट रही हैं और इनके सपने भी बड़े हैं। वहीं, काजल और पूजा क्रॉस-कंट्री धावक हैं, आस्था ने 800 और तीन हजार मीटर वर्ग में प्रतिस्पर्था की है। बड़ी बहन कॉलेज में पढ़ती है। विनोद रजक ने दसवीं तक की पढ़ाई की है। उनके पास एक एकड़ से थोड़ी अधिक जमीन है, जिससे परिवार का पेट पालना मुश्किल है। ऐसे में विनोद दूसरे के खेतों में भी काम करते हैं। विनोद की कोशिश है कि बेटियों की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं हो। वहीं, अपनी खेती की जमीन में ही विनोद ने बेटियों के लिए ट्रैक बनवाया है क्योंकि गांव में कोई मैदान नहीं है। सुबह में तीन घंटे तक प्रैक्टिस तीनों बेटियों के साथ विनोद रजक सुबह में तीन घंटे प्रैक्टिस करते हैं। सूरज उगने के बाद अपने घर जाते हैं। उसके बाद विनोद काम पर चले जाते हैं। वहीं, काम से पांच बजे लौटते हैं। उसके बाद बेटियों के साथ खेत में फिर प्रैक्टिस करते हैं। विनोद बताया कि हमारी बेटियां राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर चुकी हैं लेकिन सिंथेटिक ट्रैक होने की वजह से वह पिछड़ जाती हैं। सुविधाओं के अभाव में बेटियां खेतों में प्रैक्टिस करती हैं।


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