ICCPR का हवाला दे UN एक्सपर्ट्स ने भारत के IT नियमों पर उठाए सवाल, आखिर क्या है यह?

नई दिल्ली भारत सरकार और ट्विटर के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इसकी गूंज संयुक्त राष्ट्र (United Nation) तक पहुंच गई है। यूएन एक्सपर्ट ने कहा है कि नए आईटी कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के मानदंडों पर खरा नहीं उतरते। भारत को लिखे गए यूएन रिपोर्ट में नए कानून पर और ज्यादा विचार विमर्श करने की बात कही गई है। क्या कहा गया है रिपोर्ट में? नए आईटी नियमों को लेकर यूएन की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि आईटी कानून इंटरनेशनल कॉवनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) का उल्लंघन कर रहे हैं। सरकार से हम इसके व्यापक समीक्षा करने की अपील करते हैं। आपको बता दें कि सोशल मीडिया की नई गाइडलाइन को लेकर सरकार और ट्विटर के बीच विवाद पहले से ही चल रहा है। क्या है ICCPR? इंटरनेशनल कॉवनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) 16 दिसंबर 1966 को यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली रेजॉलूशन में अपनाई गई एक बहुपक्षीय संधि है जो नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए कई तरह की सुरक्षा प्रदान करती है। यह कॉवनेंट की आर्टिकल 49 के मुताबिक, 23 मार्च 1976 को प्रभाव में आया। ब्रिटेन भी 1976 में ICCPR को फॉलो करने के लिए राजी हुआ। यह लोगों को मानवाधिकारों की एक विस्तृत श्रृंखला का लाभ लेने में सक्षम बनाता है। इन क्षेत्रों पर होता है ICCPR का फोकस
- यातना और अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार या दंड या मनमानी नजरबंदी से मुक्ति
- कानून के समक्ष समानता
- निष्पक्ष ट्रायल का अधिकार
- विचार, धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- गोपनीयता, घर और पारिवारिक जीवन
- समानता और गैर-भेदभाव
- जीवन और मानवीय गरिमा का अधिकार
- लैंगिक समानता और अल्पसंख्यक अधिकार
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