मुकदमेबाज है पत्नी... यह तलाक का आधार नहीं, हाई कोर्ट का यह फैसला तो जानिए
अहमदाबाद कोर्ट केस फाइल करने को क्रूरता नहीं कहा जा सकता है। वहीं केवल इस आधार पर ही नहीं दिया जा सकता है कि पत्नी अपने पति के खिलाफ मुकदमेबाजी करती रहती है। गुजरात के गांधीनगर जिले में कोर्ट ने 30 साल के युवक की तलाक की याचिका को खारिज करते हुए यह बातें कही। यह मामला चांदखेड़ा इलाके में रहने वाले कपल का है, जिनकी शादी जून 2015 में हो गई थी। पति ने 2017 में गांधीनगर में सीनियर सिविल जज की अदालत में तलाक की याचिका दायर की। पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ अत्याचार की शिकायत करते हुए याचिका दायर की। हालांकि कोर्ट ने सबूत नहीं पेश कर पाने का आधार बनाते हुए याचिका खारिज कर दी। पति ने पत्नी पर अपने बूढ़े मां-बाप के साथ सामंजस्य नहीं बिठाने और झगड़ा करते रहने का आरोप लगाया। इसके साथ ही पत्नी पर यह भी आरोप है कि 2016 में गर्भवती होने पर वह अबॉर्शन कराने के लिए जोर देती रही। वहीं दूसरी तरफ पत्नी ने भी सास और ससुर पर गर्भपात कराने का दबाव बनाया। 2017 में चांदखेड़ा पुलिस स्टेशन में पत्नी की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत का जिक्र करते हुए पति ने यह शिकायत भी की कि पत्नी लगातार परिवार को तंग करते रहने और आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए मुकदमा करती रहती है। उन्होंने यह भी कहा कि पत्नी ने ही पहले अहमदाबाद फैमिली कोर्ट में ऐप्लिकेशन दिया था। वहीं, पत्नी की तरफ से भी गांधीनगर की मजिस्ट्रेट कोर्ट में घरेलू हिंसा का मामला दर्ज किया गया है, जहां से पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया है। बाद में पत्नी ने गुजारे की राशि के लिए एक और ऐप्लिकेशन फाइल की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने केस को क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखते हुए तलाक की याचिका को खारिज कर दिया।
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