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सरकार नहीं बता सकी किस प्रविधान के तहत दिया सरकारी वकीलों को सत्र न्यायालय में पैरवी का अधिकार


सरकार नहीं बता सकी किस प्रविधान के तहत दिया सरकारी वकीलों को सत्र न्यायालय में पैरवी का अधिकार

इंदौर। सरकार हाई कोर्ट में नहीं बता सकी कि उसने किस प्रविधान के तहत सरकारी वकीलों को सत्र न्यायालय में पैरवी का अधिकार दिया है। शुक्रवार को शासन को इस संबंध में जवाब देना था लेकिन सरकारी वकील ने इसके लिए समय ले लिया। अगली सुनवाई अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में होगी। जनहित याचिका प्रफुल्ल यजुर्वेदी ने पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज द्विवेदी के माध्यम से पेश की है।

 कहा है कि अब तक सत्र न्यायालय में अतिरिक्त लोक अभियोजक पैरवी करते रहे हैं। इनकी नियुक्ति शासन करता है। सरकारी वकीलों को जेएमएफसी कोर्ट में पैरवी का अधिकार होता है। इंदौर में 80 से ज्यादा जेएमएफसी न्यायालय हैं। हाल ही में सरकार ने एक आदेश जारी कर सरकारी वकीलों को सत्र न्यायालयों में पैरवी के अधिकार दे दिए हैं। इससे निचली अदालतों के काम पर असर पड़ रहा है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर शासन से जवाब मांगा था।

इंदौर  शीतला माता बाजार मेन रोड पर बगैर नक्शा पास किए जा रहे निर्माण को लेकर दायर याचिका निराकृत हो गई। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वे आदेश की प्रति के साथ अपना अभ्यावेदन निगमायुक्त के समक्ष प्रस्तुत करें। निगमायुक्त 60 दिन के भीतर इस अभ्यावेदन का निराकरण करेंगी। हाई कोर्ट में यह याचिका धर्मेंद्र पुत्र राजेंद्र निवासी छावनी ने दायर की थी। उनकी तरफ से अधिवक्ता आकाश शर्मा ने पैरवी की थी। याचिका में कहा था कि 50 शीतला माता बाजार स्थित इमारत बगैर अनुमति के बनाई जा रही है।

 याचिकाकर्ता ने इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन से लेकर नगर निगम तक की, लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। निर्माण अब भी जारी है। शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता से कहा कि वे निगमायुक्त के समक्ष कोर्ट के आदेश के साथ अपनी बात रखें। कोर्ट ने निगमायुक्त से कहा है कि वे याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का 60 दिन में निराकरण करें।

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