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Jabalpur Column: इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दी फोटो, हुई किरकिरी

जबलपुर में लापरवाही की फोटो मोबाइल में कैद कर एक महिला स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी ने विभाग के इंटरनेट मीडिया ग्रुप पर साझा कर दी।

कालम-जनता के रखवाले-रामकृष्ण परमहंस पांडेय, घटना सिटी डिस्पेंसरी कोतवाली में विगत दिनों दोपहर की है। ओपीडी का समय खत्म नहीं हुआ था। एक महिला स्वास्थ्य अधिकारी ने वहां जारी लापरवाही अपनी आंखों से देखी। इतना ही नहीं लापरवाही की फोटो मोबाइल में कैद कर विभाग के इंटरनेट मीडिया ग्रुप पर साझा कर दी। एक तस्वीर में चिकित्सक की खाली कुर्सी तथा दूसरी तस्वीर में महिला स्वास्थ्य कर्मी गहरी नींद में नजर आई। फोटो वायरल होते ही डिस्पेंसरी के चिकित्सकों व कर्मचारियों की खूब किरकिरी हुई। यूं कह लें कि उनकी भद्द पिट गई। डिस्पेंसरी के जिम्मेदारों को अधिकारियों ने डाट फटकार लगाई वो अलग। डिस्पेंसरी में महिला अधिकारी के इस रवैये पर चर्चा हुई। जिम्मेदार अधिकारी ने कहा कि कोई फर्क नहीं पड़ता। चिकित्सक की खाली कुर्सियां तो किसी भी सरकारी अस्पताल में देखी जा सकती हैं। फोटो खींचने वाली मैडम पहले अपने गिरेबान में झांककर देखें।

ताश के पत्तों का कमाल, कोई कंगाल तो कोई मालामाल: ताश के चंद पत्ते कुछ लोगों को मालामाल तो बहुतों को कंगाल कर रहे हैं। पर पत्तों का नशा ऐसा है कि वह छूटता ही नहीं। इसी का फायदा फड़बाज उठा रहे हैं। शहर के मध्य स्थित एक थाने में ताश के पत्तों की चर्चा है। इन पत्तों के सहारे फड़बाज अपना घर भर रहा है तथा थाने के एक साहब भी मलाई छान रहे हैं। फड़बाज ने दोनों पार्टी के दमदारों को भी सेट कर लिया है। जिससे उसका व साहब का काम और आसान हो गया। थाने में चर्चा है कि ये जो ’नरेश’ है न उसने साहब की आदतें और खराब कर दीं। साहब के दिमाग में दिन-रात ताश के पत्ते घूमते रहते हैं। सप्ताह बीतते-बीतते अपना हिस्सा पाने के लिए वे फड़बाज की घेराबंदी करने में जुट जाते हैं। उनका मन थाने के कामकाज में लग ही नहीं रहा।


कुलपति बनकर साकार करेंगे पैथालाजी प्राेजेक्ट का सपना: मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान चिकित्सा विश्वविद्यालय में कुलपति बनने के लिए भोपाल-इंदौर तक दौड़ दौर जारी है। इस दौड़ में तमाम लोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस चिकित्सा महाविद्यालय में पदस्थ हैं। वर्तमान में पैथालाजी विभाग के एक डाक्टर का नाम उछाला जा रहा है। जो पूर्व में विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर सेवाएं दे चुके हैं। विश्वविद्यालय के पूर्व व वर्तमान अधिकारी उन्हेें सब्जबाग दिखा रहे हैं कि कुलपति बनते ही करोड़ों के पैथालाजी प्रोजेक्ट का सपना साकार हो जाएगा।

पता चला है कि डाक्टर साहब ने पुराने कुलपति के कार्यकाल में मेडिकल के लिए करोड़ों का प्रोजेक्ट तैयार किया था। जिसकी फंडिंग विश्वविद्यालय से होनी थी। प्रोजेक्ट के कार्यरूप लेने में कई लोगों का ’भला’ होने वाला था। विश्वविद्यालय में अधिकारी बदले तो प्रोजेक्ट हाशिए पर चला गया। डाक्टर साहब कुलपति बनकर दोहरा फायदा उठाने की जुगत लगा रहे हैं। देखते हैं आगे क्या होता है।

साहब ने गजब कर दिया, पकड़ो, बंद कराे, चालू करवा दो: पकड़ो, बंद करो फिर चालू करवा दो। सुनने में आश्चर्य होता है परंतु शहर के एक थाने में पदस्थ टीआइ ने नई पदस्थापना में यह कार्यशैली अपनाई है। एक उप निरीक्षक व एक एएसआइ को उन्होंने इसी काम में लगा दिया है। सादी वर्दी में दोनों शूरमा थाना क्षेत्र में गली गली घूमकर अवैध गतिविधियों पर नजर रखते हैं। दोनों पर कोई शक न कर पाए इसलिए संपत्ति स्क्वाड का नाम दे दिया गया है। दोनों इतने शातिर हैं कि लूटपाट करने के लिए खुद को क्राइम ब्रांच का जवान बता देते हैं। साहब के भी कुछ कारनामों की चर्चा जोर पकड़ रही है। घरेलू एलपीजी सिलिंडर की कालाबाजारी कर आटो में गैस भरने वालों पर कार्रवाई की। कुछ दिन बाद वही काम दोबारा चालू करवा दिया। ऐसे तमाम मामले अधीनस्थों में चर्चा का ;विषय बने हैं।

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