Navratri 2021: रानी दुर्गावती ने कराया था शारदा मंदिर का निर्माण

जबलपुर । मदनमहल किला के पास पहाड़ी पर बने मां शारदा मंदिर का निर्माण गोंडवाना की वीरांगना रानी दुर्गावती ने कराया था। यहां पास ही नीचे विश्व प्रसिद्ध बैलेंस राक और आध्यात्मिक पौराणिक महत्व के कारण एकांत साधना का उत्कृष्ट स्थल है।
इतिहास : रानी दुर्गावती ने इस मंदिर का निर्माण सन् 1550-60 ईस्वी के बीच कराया था। वे यहां प्रतिदिन मां शारदा का पूजन करने आती थीं। सन् 1556 में मालवा के मुगल शासक सुजात खान के पुत्र बाजबहादुर ने रानी दुर्गावती के गोंडवाना साम्राज्य पर हमला कर दिया। इस युद्ध में रानी की फौज ने बाजबहादुर के सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए और उसे अपने कई सैनिक खोने के बाद वापस भागना पड़ा। इस विजय पर पूरे गोंडवाना राज्य में जश्न मनाया गया और रानी ने प्रजा व सेना के साथ शारदा मंदिर पहाड़ी पहुंचकर देवी को विजय ध्वज अर्पित किया। तब से यहां झंडा चढ़ाने की परंपरा का लोग आज भी निर्वहन कर रहे हैं।
ध्वज चढ़ाने की है परंपरा : यह मंदिर कभी पूर्व गोंडवाना साम्राज्य का क्षेत्र हुआ करता था। मंदिर आज भी विजय और इच्छाओं की पूर्ति का प्रतीक है। अपने दुख-दर्द को लेकर भक्त मातारानी के दरबार में हाजिरी लगाते हैं और मां उनकी मनोकामना पूरी करती हैं। यह मंदिर हिंदू धर्म से जुड़े लोगों के लिए बड़ा आस्था का केंद्र माना जाता है। अभी शारदेय नवरात्र चल रहा मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु भक्तजन मां शारदा का आशीर्वाद लेने आते हैं।
सावन माह के सोमवार और चैत्र, शारदीय नवरात्र में भगवती शारदा को विशाल ध्वजा श्रृध्दालुओं व्दारा पैदल चलकर चढ़ाए जाते हैं।
माई की सेवा से आत्मिक सुख मिलता है। 24 घंटे में एक बार शारदा माई की अनुभूति होती है। मैं पिछले 20 वर्ष से निरंतर सेवा कर रहा हूं। लोगों से अनुभूति सुनकर अच्छा लगता है।
ईश्वर की खोज करने वालों के लिए यह एक शक्ति केंद्र है। सभी को एक बार यहां आकर माता रानी से प्रार्थना करना चाहिए। यहां आकर अलग ही शांति मिलती है।