घर पर है अगर 35 की उम्र से बड़ी महिला, तो जल्द करवा दें उनके ये 3 टेस्ट; वरना ये कैंसर ले सकता है जान

जनवरी को सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। यह एक ऐसा कैंसर है , जिसकी जल्दी पहचान करके इलाज कराना बेहद जरूरी है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में एडवांस स्क्रीनिंग गर्भाशय ग्रीवा और उसकी कोशिकाओं में किसी भी असामान्यता का पता लगाने में मदद कर सकती है।

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर है, जे गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों को प्रभावित करता है । इसे योनि, मूत्राशय, मलाशय यहां तक की फेफड़ों तक भी फैलने में बहुत देर नहीं लगती। बता दें कि सर्वाइकल सैंकर महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मानव पेपिलोमा वायरस सर्वाइकल कैंसर कर सबसे आम कारण है। मानव पेपिलोमा वायरस गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण है और यह यौन संपर्क के जरिए फैलता है।
शुरूआती अवस्था में एचपीवी का आसानी से इलाज किया जा सकता है, लेकिन लापरवाही बरतने पर यह धीरे-धीरे सर्वाइकल कैंसर में विकसित होने लगता है, जिससे हालात बिगड़ सकते हैं।
हालांकि, अच्छी बात यह है कि टीकाकरण, नियमित स्क्रीनिंग और एडवांस टेस्ट की उपलब्धता के साथ स्थितियां पहले से बेहतर हो रही हैं, इस वजह से मृत्यु दर में भी कमी आ रही है। डॉक्टर्स कहते हैं कि महिलाओं को एक निश्चित उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर की जांच जरूर कराना चाहिए। 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है, लेकिन नियमित जांच कराने से कम उम्र में ही इस तरह के कैंसर का निदान कर समय पर इलाज किय जा सकता है।
सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए स्क्रीनिंग के तरीके

का जल्द पता लगाने और उचित उपचार के साथ इलाज संभव है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में एडवांस स्क्रीनिंग गर्भाशय ग्रीवा और उसकी कोशिकाओं में किसी भी असामान्यता का पता लगाने में मदद कर सकती है। नियमित जांच से एचपीवी के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
सर्वाइकल कैंसर के खतरे को रोकने के लिए किए जाने वाले टेस्ट
पेप स्मीयर टेस्ट-

एक
गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में किसी भी तरह के बदलाव का पता लगाने के लिए एक पेल्विक टेस्ट है। डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा की सतह से सेल्स को एकत्रित करते हैं, ताकि इस तरह के कैंसर का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके। आमतौर पर 30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं के लिए पीएपी टेस्ट की सिफारिश की जाती है। जरूरी होने पर एचपीवी टेस्ट (HPV Test ) के साथ संयुक्त रूप से पांच साल बाद फिर से कराया जा सकता है।
वीआईए स्क्रीनिंग ( VIA Screening) -

एसिटिक एसिड के साथ विज्युल इंस्पेक्शन गर्भाशय ग्रीवा के घावों का पता लगाने में मदद कर सकता है। 26-30 वर्ष की महिलाओं के लिए प्रभावी तरीका है, जिसमें सरल उपचार और
सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती लक्षणों
का निदान शामिल है। वीआईए पॉजीटिव पाए जाने वाली महिलाओं का सर्वाइकल बायोप्सी के तुरंत बाद क्रायोथैरेपी के जरिए इलाज किया जा सकता है।
एचपीवी टेस्ट (HPV Test)

99 प्रतिशत मामलों में सर्वाकल कैंसर के लिए जिम्मेदार है। यह टेस्ट एचपीवी की उपस्थिति का पता लगाने में मदद कर सकता है। एचपीवी HPV का ज्यादा पता लगाने से आपको सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, एचपीवी वायरस को कैंसर में बदलने में कम से कम 10 साल लगते हैं। ऐसे में आपको निदान औ उपचार के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इन मामलों में कभी- कभी आपको डॉक्टर द्वारा दी गई संयुक्त रूप से पीएपी और एचपीवी टेस्ट की सलाह भी माननी पड़ सकती है।
स्क्रीनिंग के बाद

यदि डॉक्टर को कुछ भी संदिग्ध लगता है , तो आपके स्क्रीनिंग रिजल्ट के आधार पर वह आपको अपनी स्थिति पर नजर रखने के लिए कहता है। इसके अलावा एक हेल्थ केयर स्पेशलिस्ट की कोल्पोस्कोपी, बायोप्सी, असामान्य ग्रीवा कोशिकाओं को हटाने जैसी प्रोसेस की सलाह काफी मायने रखती है।
सर्वाइकल कैंसर वैश्विक स्तर पर महिलाओं की मौत का कारण बन रहा है। ऐसे में इस गंभीर बीमारी की जांच कराना बेहद जरूरी है। चूंकि
सर्वाइकल कैंसर एक स्लो कैंसर
माना जाता है। इसलिए, यदि समय पर इसका पता चल जाए , तो इसका अच्छा इलाज संभव है। महिला होने के नाते अपने स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार बनें, टेस्ट कराएं , इलाज कराएं और सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ जंग जीतें।
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