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दुनिया को भारत की बुलंद तस्वीर दिखा अलविदा हो गए राहुल बजाज

आप यदि 1980 और 1990 के दशक में बड़े हो रहे होंगे तो इस कामर्शियल जिंगल (Hamara Bajaj) से आपका साबका जरूर पड़ा होगा। टेलीविजन पर किसी कार्यक्रम के पहले या बाद में अक्सर एक एड देखते सुनते होंगे- बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर... हमारा बजाज..। जी हां, बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर (Buland Bharat ki Buland Tasveer) दिखाने वाले () अब हमारे बीच नहीं रहे। राहुल बजाज 83 वर्ष के थे। लेकिन उनके दैनंदिन कार्यकलाप को देखिए तो लगता नहीं था कि वह इतने उम्रदराज थे। बजाज ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि वह अक्सर ग्रुप के कंपनियों के कामकाज के बारे में जानकारी लेते रहते थे। वह उन्हें गाइड भी करते रहते थे। हालांकि उन्होंने बजाज ऑटो में नॉन-एक्जीक्यूटिव डाइरेक्टर और चेयरमैन पद से पिछले वर्ष 30 अप्रैल को ही इस्तीफा दिया था। लेकिन वह चेयरमैन एमेरिटस बने रहे। इसलिए ग्रुप के कामकाज में अंतिम दम तक सक्रिय भी रहे। साफगोई थी उनकी खासियत स्पष्ट और खुलकर बोलने वाले राहुल बजाज ने परमिट राज के दौरान दो पहिया और तीन पहिया वाहनों का ब्रांड स्थापित करके अपना दम दिखाया था। बिना लाग लपेट के अपनी बात रखने वाले बजाज कूटनीति में पारंगत थे। वह अन्य उद्योगपतियों से अलग थे। साफगोई उनकी खासियत थी। भले इसकी वजह से सरकार के साथ ठन जाए। चाहे अपने खुद के बेटे के साथ आमना-सामना हो जाए। नवंबर 2019 की बात है, उन्होंने देश के गृह मंत्री अमित शाह, समेत मंत्रियों के एक समूह पर चुभने वाले सवाल दाग दिए थे। कलकत्ता में 1938 में हुआ जन्म राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कलकत्ता में हुआ था। उनके दादा जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की थी। प्रारंभिक पढ़ाई वहीं से करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आ गए। उन्होंने दिल्ली के नामी गिरामी सेंट स्टीफन्स कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। इसके बाद अमेरिका के हार्वर्ड बिजनस स्कूल से एमबीए। पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता कमलनयन बजाज की टीम में उप महाप्रबंधक के रूप में उन्होंने काम शुरू किया। वर्ष 1968 में, जब वह महज 30 साल थे, कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सीईओ बन गए। बजाज ऑटो से पहले शुरू हो गया था कारोबार यूं तो बजाज ऑटो की स्थापना 1960 में हुई थी। लेकिन उससे काफी पहले ही इसकी शुरूआत हो गई थी। दरअसल, हमारा बजाज की कहानी 1926 से शुरू होती है, जब जमनालाल बजाज ने कारोबार के लिए बछराज एंड कंपनी नाम की फर्म बनाई थी। उनकी मौत के बाद उनके दामाद रामेश्वर नेवतिया और दो बेटों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन की स्थापना की। आजादी के बाद 1948 में विदेशों से पार्ट्स मंगाकर उन्होंने दो-पहिया और तीन-पहिया गाड़ियां बनाईं। कई दिशा में बढ़ाया कारोबार बजाज ग्रुप सिर्फ ऑटोमोबाइल तक ही सीमित नहीं रहा। उनके नेतृत्व में ग्रुप का डाइवर्सिफिकेशन हुआ। चाहे जनरल इंश्योरेंस हो या लाइफ इंश्योरेंस, इंवेस्टमेंट एवं कंज्यूमर फाइनेंस, घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रिक लैंप, पवन ऊर्जा, स्टेनलेस स्टील। सभी क्षेत्र में बजाज का झंडा लहराने लगा। उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 7.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। फाइनेंस कारोबार को किया अलग साल 2008 में उन्होंने बजाज ऑटो को तीन इकाईयों- बजाज ऑटो, बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी में बांटा। यह फैसला मुफीद रहा। आज की तारीख में ग्रुप का 80 फीसदी वैल्यूएशन उनकी फाइनेंस कंपनी बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व से ही आता है। उनके बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज ऑटो और फाइनेंस कंपनियों को संभाल रहे हैं। अरबपतियों की सूची में आए 2016 में राहुल बजाज को फोर्ब्स ने 2016 में दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल किया था। उस वक्त उन्हें लिस्ट में 722वीं रैंक मिली थी। उस समय उनका नेट वर्थ 2.4 अरब डॉलर आंका गया था। अगर फोर्ब्स की रीयल टाइम लिस्ट के हिसाब से देखें तो 12 फरवरी 2022 को राहुल बजाज की नेट वर्थ 8.2 अरब डॉलर यानी करीब 62,000 करोड़ रुपये है। पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया राहुल बजाज की तरफ से समाज को दिए गए योगदान के चलते उन्हें वर्ष 2001 में पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया था। स्कूटर की दुनिया में क्रांति से उन्होंने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया था। राहुल बजाज कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के दो बार (1979-80 और 1999-2000) प्रेसिडेंट भी चुने गए। इस दौरान उन्हें 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा गया था। उन्हें ‘नाइट ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ नाम के फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। जब बेटे के काम पर जताई निराशा 2005 में उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी धीरे-धीरे अपने बेटे राजीव बजाज को सौंपनी शुरू की। राजीव बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक बन गए और कंपनी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया। हालांकि, जब राजीव ने 2009 में स्कूटर को छोड़कर बजाज ऑटो में पूरा ध्यान मोटरसाइकिल विनिर्माण पर देना शुरू किया तो राहुल बजाज ने अपनी निराशा नहीं छिपाई। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा, ‘‘मुझे बुरा लगा, दुख हुआ।’’ बिना डरे बोलते थे सरकार के खिलाफ मुंबई में नवंबर 2019 में उन्होंने एक कार्यक्रम में सरकार द्वारा आलोचना को दबाने के बारे में खुलकर बोला जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे। उन्होंने कहा था, ‘‘भय का माहौल है, यह निश्चित ही हमारे मन मस्तिष्क पर है। आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं उसके बावजूद हमें भरोसा नहीं कि आप आलोचना को स्वीकार करेंगे।’’ संसद सदस्य भी मनोनीत हुए बजाज जून 2006 में राज्यसभा में मनोनीत हुए और 2010 तक सदस्य रहे। उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था तथा कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई। वह इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन, आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक मंडल के चेयरमैन समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। आज तक वह ऐसे इकलौते व्यक्ति रहे जो उद्योग चैंबर सीआईआई के दो बार अध्यक्ष रहे, पहली बार 1979-80 और फिर 1999 से 2000 तक। राहुल बजाज का परिवार राहुल बजाज के 2 बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज हैं, जो कंपनी के मैनेजमेंट में हैं। वहीं उनकी बेटी सुनैना बजाज की शादी मनीष केजरीवाल से हुई है, जो Temasek India के प्रमुख रह चुके हैं। 10 जून 1938 को जन्मे राहुल बजाज ने 1958 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया था।


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