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न सर्जरी-न दवा, Ayurveda डॉक्टर ने बताया बच्चेदानी की गांठ (रसौली) का आसान आयुर्वेदिक इलाज

यूटेराइन फाइब्रॉयड (Uterine Fibroids) महिलाओं को होने वाली एक आम समस्या है। इसे गर्भाशय की गांठ, बच्चेदानी की गांठ होना या आम बोलचाल की भाषा में रसौली की गांठ भी कहा जाता है। वास्तव में इस तरह की गांठ कैंसर नहीं होती हैं और न ही गर्भाशय के कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हैं। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको यह नहीं समझना चाहिए कि आपके गर्भाशय में कैंसर है।इस तरह की गांठ गर्भाशय के भीतर या दीवार पर हो सकती हैं। गांठ एक या कई हो सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तरह की गांठ का आकार सेब के बीज से लेकर अंगूर जितना बड़ा हो सकता है। कई महिलाओं को अपने जीवन में कभी न कभी गर्भाशय फाइब्रॉयड हो सकता है। समस्या यह है कि इसके कुछ खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसका इलाज पूरी तरह से महिला में नजर आ रहे लक्षणों पर निर्भर करता है। मेडिकल में इसका इलाज कुछ दवाओं या सर्जरी के जरिए किया जाता है।आयुर्वेदिक डॉक्टर रेखा राधामणि का मानना है कि आयुर्वेद में बच्चेदानी में गांठ का इलाज मौजूद है और आपको बिना दवाओं या सर्जरी के बिना भी आराम मिल सकता है। हालांकि कई महिलाएं की गांठ बड़ी हो सकती है, जिसके लिए सर्जरी एकमात्र विकल्प है। ऐसे में आयुर्वेदिक डॉक्टर के पास भी कोई विकल्प नहीं बचता है। आयुर्वेद में बच्चेदानी में गांठ का साइज आयुर्वेदिक दवाओं, डाइट और रूटीन के जरिए कम किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह है कि अगर आपको लक्षण भी नहीं है, तो भी आपको इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए।

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