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इंटरव्यूः जाने-माने लेखक ताबिश खैर ने कहा- कट्टरता से दुख हुआ, तो उस थीम पर लिखा

मैं किताबों के प्रचार-प्रसार को गलत नहीं मानता, लेकिन प्रचार-प्रसार ही असल हो जाए तो कोफ्त होती है। पहले पाठक कभी तारीफ करते थे, कभी नाराज होते थे तो एक कनेक्शन था। अब मिडलमैन आ गए हैं। एजेंट हैं, मार्केटिंग है, कोई बड़ा संपादक है। हर कोई अपने परिचित की किताब को अच्छा बता रहा है

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