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लॉकडाउन में योग के प्रयोग से बच्चे बन रहे हैं निरोग "कहानी सच्ची है"

छिन्दवाड़ा: विश्वव्यापी कोरोना संकट काल में सभी विषय विशेषज्ञों और डॉक्टर्स द्वारा लोगों को कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिये कोरोना रोधी जीवनचर्या अपनाने की सलाह दी जा रही है, विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों को भी खास सावधानी रखने के लिए कहा गया है। इससे प्रेरित होकर अधिकांश जागरूक लोगों ने कोरोना रोधी जीवनचर्या को एक आदत की तरह अपना लिया है। लोग स्वयं ही मास्क लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर रहे है। वर्तमान समय में जब बात बालगृहों में रह रहे बेसहारा बच्चों की आती है, तो इन बच्चों को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है, क्योंकि अपने परिवार के अभाव में इन बच्चों पर मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तनाव के साथ-साथ अन्य कई तरह का दबाव होता है। उनकी अपेक्षाओं और भावनात्मक जरूरत को भी पूरा करना जरूरी होता है। शिक्षा की बढ़ती प्रतिस्पर्धाओं के साथ-साथ तमाम तरह की अतिरिक्त गतिविधियों में हिस्सा लेने का दबाब भी इन बच्चों पर होता है,  इसीलिए यह जरूरी हो जाता है कि इन बच्चों को अधिक से अधिक सक्रिय रखा जाये, जिससे वे तनावमुक्त और स्वस्थ्य रह सकें। इसमें योग एक अहम भूमिका निभाता है। योग बच्चों के शरीर, मन और चेतना के संतुलित व सर्वांगीण विकास के लिए बेहद जरूरी है, इसी योग-विज्ञान संकल्पना को महिला एवं बाल विकास विभाग छिंदवाड़ा की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती कल्पना तिवारी रिछारिया द्वारा समेकित बाल संरक्षण सेवाएं (आईसीपीएस) के अंतर्गत शिशु गृह और बाल गृह के जीवन में उतारने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे इन बच्चों के जीवन में वृहद परिवर्तन दिखाई दे रहा है और वे लॉकडाउन में योग के प्रयोग से निरोग बन रहे हैं। इस नवाचार को लोगों द्वारा सराहा जा रहा है।
       महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती तिवारी रिछारिया ने बताया कि शिशु गृह और बाल गृह के बच्चों को स्वस्थ्य रखने और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिये प्रारंभ की गई योग-विज्ञान संकल्पना को एक व्यवस्थित आधार कार्यक्रम में परिणित करने में बाल संरक्षण अधिकारी श्री चन्द्रशेखर नागेश ने पतंजलि योग समिति की योग शिक्षक श्रीमती योगेश्वरी राउत और ममता एच.आई.एम.सी. संस्था के श्री नीलेश दुबे के सहयोग से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभाग ने प्रारंभिक लॉकडाउन समय से क्लाउड वीडियो कार्यशाला द्वारा शिशु गृह व बाल गृह के बच्चों के साथ संलग्न कर्मचारियों को भी विभिन्न योगासन व ध्यान क्रिया का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। बाल गृहों को नियमित योग शेड्यूल के पालन द्वारा और एक विस्तृत योग आधारित वीडियो तैयार कर यूट्यूब चैनल प्रदर्शन द्वारा उनके नियमित व्यवहार में उतार कर जीवंत किया जा रहा है। बच्चों को योगासनों के नियमित अभ्यास से उनकी मनोसामाजिक दशा को स्थिरता, शारीरिक सक्रियता, तनाव मुक्ति, एकाग्रता, मानसिक संतुलन और शैक्षिक कार्य प्रवीणता में वृद्धि कर रहा है और वे एक बेहतर जीवन शैली की ओर कदम बढा रहे हैं। साथ ही इससे बालगृह के कर्मचारियों की सेवा भावना में भी सकारात्मक बदलाव आये हैं और वे इन बच्चों को अब और सक्रियता से बेहतर देखभाल प्रदान कर पा रहे हैं।