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कोरोना के बढ़ते आंकड़ों से बेफिक्र आमजन

Publish Date: | Wed, 19 Aug 2020 04:10 AM (IST)

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शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे लोग।

दमुआ। बाजार और अन्य सार्वजनिक स्थलों परआमजन कोविड 19 से पूरी तरह बेफिक्र नजर आ रहे हैं। बैंक परिसर और बाजार की संकरी गलियों में लोग बिना मास्क लगाए खरीदारी करते रहे, जितने बेफिक्र गांव के रहवासी खरीदार थे उससे कहीं ज्यादा लापरवाह दुकानदार नजर आए। दरअसल दमुआ निकाय क्षेत्र होने के बावजूद प्रशासनिक सख्ती कहीं नजर नहीं आती है। क्षेत्र में बाहर से आए हुए कई लोगों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई लेकिन उसके बाद वही लोग नहीं चेते। पोला की तैयारी के चलते बाजार में लोगों की भीड़ उमड़ी दुकानदारों ने त्यौहारी मौके का जमकर फायदा उठाया।

संगम-1 बांध के विरोध में फिर मुखर हुआ आदिवासी समाज

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राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर कहा, जारी अधिसूचना निरस्त करे शासन

दमुआ। जिले में सिंचाई कॉम्प्लेक्स के तहत संगम 1 बांध परियोजना से प्रभावित होने वाले आदिवासी समाज ने अब राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप कर कहा है कि संबंधित क्षेत्र संविधान के अनुच्छेद 244 (1) पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आता है, इसलिए न्याय सिद्धांतों एवं संवैधानिक व्यवस्था के तहत शासन द्वारा 25 जुलाई को जारी अधिसूचना विधि प्रतिकूल होने के कारण निरस्त की जाए। आदिवासी समाज के लोग ज्ञापन सौंपने अनुकंपनीीय अधिकारी राजस्व के जुन्नाारदेव कार्यालय पहुंचे थे। राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन में समाज की ओर से कहा गया कि प्रस्तावित बांध निर्माण से ब्रजपूरा, खापासूरजू, सेमरकुही, मांडई, नंदौरा, डूंडमंगर, दमुआ, करैया, भावई कला, करमोहिनीबंधी, जैसे दस गांवों की आदिवासी आबादी प्रभावित होगी । ग्रामीणों के अनुसार जिले की तहसील जुन्नाारदेव 5 वीं अनुसूची के अंतर्गत क्षेत्र है और यहां प्रस्तावित बांध निर्माण होने से आदिवासियों की पैतृक भूमि डूब क्षेत्र में चली जाएगी। वहीं उनकी पहचान संस्कृति, रूढ़िगत व्यवसाय गंभीर रूप से प्रभावित होगी। ज्ञापन में कहा गया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के अंतर्गत आदिवासियों के बेसिक स्ट्रक्चर एवं पहचान बनाए रखने के लिए संविधान वचनबद्ध है। भूमि अधिग्रहण संशोधन करने का अधिकार भारतीय संसद को नहीं है। संविधान ये अधिकार नहीं देता। 5वीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में यदि शासन की भी कोई कार्रवाई है तो वह भी लागू नहीं होगी। इसलिए क्षेत्र में प्रस्तावित बांध निर्माण संबंधी जारी अधिसूचना निरस्त करने की कृपा करें।

झटके दे रहे बिजली बिल, उपभोक्ता परेशान

दमुआ। प्रदेश में पहले कांग्रेस और अब भाजपा की सरकार है। दोनों ही सरकारों ने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली का झटका मारते बिलों से राहत देने के लिए समय समय पर अपने अपने ढंग से योजनाओं की घोषणाएं की। इसके बावजूद क्षेत्र के बिजली उपभोक्ता बिजली बिलों से परेशान है। प्रदेश में 99 लाख बिजली उपभोक्ताओं के लिए बनाई गई 3 योजनाओ में से उन्हें किसी भी योजना का लाभ मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है। कमल नाथ सरकार ने किसानों का बिजली बिल हाफ और सत्ता में आने के बाद सभी श्रेणी के घरेलू उपभोक्ताओं को डेढ़ सौ यूनिट तक बिजली बिल में राहत देने का फैसले लिया था। सत्ता में बदलाव के बाद शिवराज सरकार ने उपभोक्ताओं को अनाप शनाप बिजली बिलों से राहत देते हुए तीन योजनाएं दी। घरेलू श्रेणी के 150 यूनिट प्रति माह खपत वाले उपभोक्ताओं के लिए 100 यूनिट पर 100 रुपये और सौ यूनिट से अधिक खपत पर निर्धारित दरों के अनुसार देय राशि की इंदिरा गृह ज्योति योजना भी संचालित है। इसके बाद भी वितरण केंद्र दमुआ के बिजली कंपनी ने बिजली के अनाप शनाप भुगतान देयक थमा कर अपने उपभोक्ताओं को अधमरा कर दिया है।

उपभोक्ता को थमाया मनमाफिक बिल

ताजा मामला उपभोक्ता महादेव प्रजापति का है उन्होंने नए मीटर से जब अपना ऑन लाइन बिजली बिल निकाला तब पता चला कि कंपनी ने जुलाई माह का बिजली बिल 1736 रुपये और पिछला बकाया 7480 रुपये सहित कुल 9216 रुपये बिल उनके नाम पर है। उपभोक्ता महादेव प्रजापति ने इस मामले को बिजली कंपनी के उच्चाधिकारियों सहित जनसुनवाई में भी रखा है। उनका आरोप है कि कंपनी ने आवेदन देने के कई माह बाद मीटर तो बदल दिया लेकिन देयक बिल उन्हें नहीं दिया जा रहा था। उन्होंने बताया कि मार्च तक का बिल उन्होंने जमा कर दिया था इसके बाद अप्रैल माह से कंपनी ने उन्हें बिल नहीं दिया। कंपनी की ओर से उन्हें छठे माह में 5710 रुपये का हस्तलिखित बिल थमाया गया। जिस पर आपत्ति लेते हुए उन्होंने बिल का भुगतान नहीं किया। जुलाई की 16 तारीख को कंपनी ने उन्हें उनके द्वारा त्रुटिपूर्ण बिजली बिल संबंधी शिकायत के एवज में नोटिस देकर बताया कि मीटर क्रमांक जी 3345339 को तारीख 30 जून 20 को चैक किया और सही पाया। उपभोक्ता का दावा है कि कंपनी ने उनके परिसर में लगे मीटर की रीडिंग ही नहीं ली और वहीं बैठे बैठे बिल बना दिया।

इन्होंने कहा

उपभोक्ता का भुगतान देयक उनकी खपत के अनुसार है। उनके द्वारा लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं। कंपनी ने उन्हें इस बाबद कई बार समझाइश भी दी है।

शशिपाल वर्मा, जेई वितरण केंद्र दमुआ

Posted By: Nai Dunia News Network

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