शिक्षक ट्रेन और हवाई जहाज से करा रहे अक्षर ज्ञान
Publish Date: | Sat, 05 Sep 2020 04:05 AM (IST)
छिंदवाड़ा। नवदुनिया शिक्षक सम्मान समारोह शिक्षक दिवस पर शनिवार को आयोजित होगा। पूरी तरह वर्चुअल आयोजन में जिले को दो शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद चौरागढ़े द्वारा सम्मानित किया जाएगा। जिनके नवाचार ने विद्यार्थियों में पढ़ाई की ललक जगाई और उन्हें विद्यालय में आने के लिए प्रेरित किया। जिसके कारण कोरोना काल में शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं हुआ। शिक्षकों के इन प्रयोग को समाज और शिक्षा विभाग का भी सहयोग मिला। नवदुनिया पौनारी में पदस्थ प्रधान पाठक आशुतोष तिवारी और शासकीय माध्यमिक शाला मुरमारी में पदस्थ शिक्षक हंसराज मोहबे को सम्मानित करेगा।
दरवाजा खोलते ही डिग्री का होता है ज्ञान
फौटो 1, 2 और 3
आशुतोष तिवारी के नाम से है फोटो
एक ओर आज के दौर में निजी स्कूल में दाखिला लेने में छात्रों की दिलचस्पी होती है, वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर पौनारी में पदस्थ प्रधान पाठक आशुतोष तिवारी ने अपने सहयोगियों के साथ स्कूल का काया कल्प कर दिया है। यहां दीवार पर तुलसी दास के दोहे के जरिए राज्य के नाम बताए गए हैं, यहीं नहीं ट्रेन से लेकर हवाई जहाज के जरिए अक्षर ज्ञान रोचक तरीके से कराया जाता है। कक्ष में दरवाजे के नीचे कोण की आकृति है, जिससे लोग गणित आसानी से समझ सकते हैं। यही नहीं प्राइमरी स्कूल में जहां कई स्कूल में बिजली कनेक्शन नहीं होते, यहां शिक्षक ने बिजली कनेक्शन भी करवा रखा है। यहां पर प्रत्येक दीवार में जो चित्र बने हैं उन्हें देखकर समझ कर बच्चे दुनिया का ज्ञान प्राप्त करते हैं। क्लास रूम में बैठकर उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, सामान्य ज्ञान को चित्रों के माध्यम से सहज भाव से सीख रहे हैं। इस विद्यालय में इसका कैंपस एवं इसके सारे रिकार्डो का संधारण बहुत सुरक्षति तरीके से रखा हुआ है। बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागृति देखते बनती है। भोजन कक्ष की साफ सफाई अपने आप में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति अलग ही कहानी बयां करती है।
कभी नहीं लेते अवकाश, समय की पाबंदी का रखते हैं ख्याल
शासकीय माध्यमिक शाला शिकारपुर में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ हंसराज मोहबे बीते 30 सालों से शिक्षा जगत में सक्रिय है। वो न तो कभी अवकाश लेते हैं न कभी देर से आते हैं। गरीब पालकों के बच्चों को शैक्षणिक सामग्री वितरित करने के साथ अनुपस्थित बच्चों को उनके घर जाकर प्रतिदिन शाला आने हेतु प्रेरित करते हैं। पिछले साल शाला का वार्षिक परिणाम 100 प्रतिशत है। वर्तमान में कोरोना महामारी के दौरान भी प्रत्येक बच्चे से उनके घर जाकर संपर्क कर अध्ययन हेतु प्रेरित किया। इससे पहले वो मुरमारी में भी पदस्थ रहे हैं, इस स्कूल में दर्ज संख्या काफी कम थी, शैक्षणिक कार्य के लिए उन्होंने शिक्षकों को प्रेरित किया और दर्ज संख्या बढ़ाने में भी योगदान दिया।
Posted By: Nai Dunia News Network
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