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जानें Cable TV Vs OTT War में शहरों में केबल टीवी को कितना नुकसान और ओटीटी को क्या फायदा?

नई दिल्ली।Cable TV Vs OTT War: एक जमाना था, जब दूरदर्शन पर रामायण, महाभारत तो छोड़िए, समाचार देखने के लिए भी लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। कारण था कि या टीवी सेट्स कम थे या लोगों के खबर या मनोरंजन पाने का जरिया सीमित था। समय बदला तो लोगों के सामने नए-नए विकल्प आए और ज़िंदगी आज दूरदर्शन से आगे निकल केबल टीवी और अब ओटीटी प्लैटफॉर्म तक आ पहुंची है। ये भी पढ़ें- भारत में मनोरंजन के टीवी माध्यमों की बात करें तो ये 5 तरह के हैं- ब्रॉडकास्ट या ओवर द एयर टेलीविजन, फ्री टु एयर, डायरेक्ट टु होम (डीटीएच), केबल टीवी और ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लैटफॉर्म। भारत में फिलहाल ऐमजॉन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स, जी5, हॉटस्टार, ऑल्ट बालाजी, एमएक्स प्लेयर, वूट समेत 40 ओटीटी एंटरटेनमेंट प्रवाइडर हैं, जिनपर लोग वेब सीरीज, नई फिल्में के साथ ही टीवी सीरियल्स भी देख सकते हैं। ये भी पढ़ें- इतिहास कुछ ऐसा है...भारत में 1990 के दशक तक मनोरंजन और खबर पाने का एकमात्र जरिया दूरदर्शन था, जहां लोग समाचार, किसानों से जुड़ीं खबरें, परिवार नियोजन से जुड़ीं बातें, फिल्म-गाने और खेल से जुड़ी खबरें पाते थे। साल 1991 तक भारत में 7 करोड़ से ज्यादा घरों में टीवी लग चुका था। उसी समय केंद्र की नरसिंह राव सरकार द्वारा वैश्वीकरण पर जोर देने और अर्थव्यवस्था को नए आयाम देने की कोशिशों के तहत भारत के रास्ते दुनिया के लिए खोल दिए गए। इसके बाद लोगों के मनोरंजन के साधनों में भी क्रांति आई और इस तरह भारत में वर्ष 1992 में केबल टीवी की शुरुआत हुई। केबल टीवी आते ही भारत में पांच नए चैनल शुरू हुए, जिनमें एमटीवी, स्टार प्लस, स्टार मूवीज, बीबीसी और प्राइम स्पोर्ट थे। इसके बाद भारत का पहला प्राइवेट टीवी चैनल जी टीवी भी शुरू हुआ। बाद में दक्षिण भारत से सन टीवी की शुरुआत हुई। साल 2010 आते-आते भारत में 500 से ज्यादा सैटलाइट चैनल आ गए, जिनके जरिये लोग स्थानीय समाचार, गाने और फिल्में देखने लगे। ये भी पढ़ें- समय बदला तो जरूरतें भीसमय बदलने के साथ ही इंटरनेट का चलन बढ़ने और आसानी से घर बैठे नई फिल्में देखने की ललक से भारतवासी भी अछूते नहीं रहे और फिर जमाना आया ओटीटी प्लैटफॉर्म्स का। बात बीते 3-4 साल की है। ओटीटी यानी ओवर द टॉप, जिसे आसान शब्दों में समझें तो मनोरंजन का डिजिटल साधन, जिसे आप टीवी में कनेक्ट करके, मोबाइल और टैब, लैपटॉप में भी देख सकते हैं। यह सर्विस केबल टीवी की तरह ही सब्सक्रिप्शन बेस्ड है, जिसमें आप एक निश्चित धनराशि चुकाते और सेवा लेते हैं। यह मासिक, त्रैमासिक, छमाही या सालाना होता है। दरअसल, लोगों में ओटीटी प्लैटफॉर्म की स्वीकार्यता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि उनके लिए यह ज्यादा खर्चीला नहीं लगा, क्योंकि पहले भी तो वह टाटा स्काई, एयरटेल, डीटीएच समेत अन्य केबल ऑपरेटर्स को एक निश्चित राशि चुकाकर सेवा लेते थे। आपको बता दूं कि भारत चीन के बाद दूसरा ऐसा देश है, जहां लोग पैसे देकर मनोरंजन के लिए सब्सक्रिप्शन लेते हैं। ये भी पढ़ें- एक ही जगह सबकुछ मिलेगाकेबल टीवी से ओटीटी की तरफ शिफ्ट करने का सबसे बड़ा कारण ये है कि ओटीटी प्लैटफॉर्म्स पर भी आप सीरियल, फिल्में और वेब सीरीज देख सकते हैं, वो भी बिना विज्ञापन के। वहीं केबल टीवी के जरिये दिखने वाले चैनल्स में ऐड्स की भरमार होती है। साथ ही कंटेंट को भी देखें तो ओटीटी प्लैटफॉर्म्स का दायरा काफी बड़ा है। आप साउथ अमेरिका बेस्ड वेब सीरीज नारकोस भी देख लेते हैं और चीन में शूट मारको पोलो भी। वहीं भारत में बनी सेक्रेड गेम्स, मिर्जापुर, द फैमिली मैन के साथ ही आश्रम भी। साथ ही यह ऐड फ्री है। यहां तक कि अब तो लगभग सभी प्रमुख टीवी चैनल्स ने ओटीटी प्लैटफॉर्म पर दस्तक दे दी है, ऐसे में आप जी5, ऑल्ट बालाजी, वूट समेत अन्य डिजिटल प्लैटफॉर्म पर ऐड फ्री टीवी सीरियल्स और वेब सीरीज के साथ ही नई फिल्में भी देख सकते हैं। ये भी पढ़ें- मीडिया स्ट्रीमिंग डिवाइस का बोलबालाअब बहस का मुद्दा ये है कि किस तरह ओटीटी प्लैटफॉर्म ने केबल टीवी का खेल बिगाड़ा है, तो आपको बता दूं कि महानगर और छोटे शहरों में हर घर में टीवी है। जब टीवी सेट्स हैं तो केबल टीवी भी होगा ही। लेकिन अब केबल टीवी के साथ ही लोग Amazon Fire Stick और Airtel X stream, JioFiber, Roku TV, Apple TV, Google Chromecast, Raspberry PI, NVIDIA Shield TV, Nexus Player, Fire TV Pendant समेत अन्य मीडिया स्ट्रीमिंग डिवाइस का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने लगे हैं, जिसपर वे आसानी ने सबकुछ देख पा रहे हैं। हालांकि इन डिवाइस को यूज करने के लिए इंटरनेट जरूरी है। चूंकि इंटरनेट तक पहुंच आसान हो गई है और आपके पास डेटा की कमी नहीं है, ऐसे में छोटे बड़े महानगरों में इन मीडिया स्ट्रीमिंग डिवाइस की मांग बढ़ी है। वैसे एक बात बताना जरूरी है कि छोटे शहरों में इंटरनेट की पहुंच अभी भी सीमित है, इसलिए टीवी पर ओटीटी प्लैटफॉर्म्स देखने की स्वीकार्यता केबल टीवी जैसी नहीं हो पाई हैं। ये भी पढ़ें- आपकी पसंद और सोच भी तो बदली है...आपको बता दें कि कुछ समय पहले तक जो लोग केबल टीवी की मदद से टीवी पर सीरियल्स या फिल्में देखा करते थे, वे अब टीवी में ऐमजॉन फायर स्टिक या अन्य मीडिया स्ट्रीमिंग डिवाइस लगाकर ओटीटी प्लैटफॉर्म पर वेब सीरीज या अन्य कंटेंट देख लेते हैं। बच्चे कार्टून चैनल देखने की जगह ओटीटी प्लैटफॉर्म के चिल्ड्रेन सेक्शन में जाकर मनपंसद कार्टून सीरियल या फिल्म देख लेते हैं। ऐसे में केबल टीवी के अस्तित्व पर संकट आ गया है। हालांकि अभी ओटीटी प्लैटफॉर्म का दायरा छोटे शहरों या गांव तक उतना नहीं पहुंच पाया है, लेकिन आने वाले समय में इसका काफी विस्तार देखने को मिलेगा। ऐसे में लोगों को कम पैसे में आसानी से नेटफ्लिक्स, ऐमजॉन प्राइम, हॉटस्टार का सब्सक्रिप्शन मिल सकता है। फिलहाल जितने भी भारतीय ओटीटी प्लैटफॉर्म है, चाहे वह ऑल्ट बालाजी हो, जी5 हो या अन्य, इनका सब्सक्रिप्शन कॉस्ट ज्यादा नहीं है। टाइम्स ग्रुप का एमएक्स प्लेयर को हर किसी के लिए फ्री है। इसका कारण है कि इनके कंटेंट का दायरा सीमित है, लेकिन नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो का सब्सक्रिप्शन तुलनात्मक रूप से इसलिए महंगा है, क्योंकि इनके कंटेट विश्व स्तर के हैं। ये भी पढ़ें- केबल टीवी नेटवर्क को कुछ करना होगाआने वाले समय में केबल टीवी को ओटीटी प्लैटफॉर्म से यकीनन काफी चुनौतियां मिलेंगी, क्योंकि अब टीवी मैन्यूफैक्चरर्स भी स्मार्ट टीवी बनाने पर ही जोर दे रहे हैं और ज्यादातर कंपनियों की कोशिश रहती है कि वह ओटीटी प्लैटफॉर्म इनबिल्ट बनाएं। इसके लिए वह ऐमजॉन प्राइम, हॉटस्टार और नेटफ्लिक्स से करार कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में धीरे-धीरे केबल टीवी का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। मान लीजिए, आप जी टीवी या स्टार प्लस या सोनी टीवी के सीरियल्स देखते हैं, आपको ये सब जी5, सोनी लिव और हॉटस्टार पर भी मिल रहा है, वो भी ऐड फ्री, ऐसे में आपका ध्यान धीरे-धीरे केबल टीवी से हटकर ओटीटी प्लैटफॉर्म की तरह शिफ्ट होता जाता है। आने वाले समय में नेटफ्लिक्स, ऐमजॉन प्राइम समेत सभी ओटीटी प्लैटफॉर्म अपनी सब्सक्रिप्शन फीस कम करेंगे और छोटे शहरों के साथ ही गांव तक पहुंच बनाने की कोशिश करते दिखेंगे, ऐसे में केबल टीवी को सोचना पड़ेगा। ये भी पढ़ें-


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