Top Story

लॉकडाउन में कोठे हुए बंद, घर-घर राशन पहुंचाने में जुट गए सेक्स वर्करों के दो बच्चे

नई दिल्ली दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ तो सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी। लॉकडाउन के दौरान जीबी रोड पर सेक्स वर्कर्स के लिए खाने का संकट पैदा हो गया। ऐसे में नकुल (बदला हुआ नाम) जो खुद सेक्स वर्कर का लड़का है, ने लॉकडाउन में कोठों पर राशन पहुंचाने की सोची। 19 साल का नकुल पैसे इकट्ठा कर सेक्स वर्कर्स के एक धड़े की मदद करना चाहता है। दिल्ली से गांव लौटने लगे सेक्स वर्कर्स 19 अप्रैल को दिल्ली में जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तो कई सेक्स वर्कर्स दिल्ली छोड़कर अपने गांवों की तरफ लौटने लगे। जो यहां रुके वह अपनी बचत और पहले के बचे हुए राशन के बल पर अपने बच्चों का पालन-पोषण करने लगे। एक सेक्स वर्कर ने बताया कि पुलिस हमेशा कहती है कि अपना दरवाजा बंद करके रखो। दरवाजा खुला रहेगा तो कस्टमर आ जाएगा। सेक्स वर्कर ने बताया कि सबकुछ बंद होने की वजह से उसे अपने बच्चों को खिलाने के लिए उधार लेना पड़ा। उसने बताया कि उसकी सेहत भी ठीक नहीं है लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है। अच्छा मास्क और सैनिटाइजर नहीं खरीद सकते वहीं, एक अन्य सेक्स वर्कर का कहना है कि वे लोग अच्छा मास्क और सैनिटाइजर भी नहीं खरीद सकते हैं। उसने बताया कि सरकारी मदद के बिना उनके पास ना तो हाथ धोने के लिए साबुन या डिटर्जेंट है और ना ही खाना बनाने के लिए गैस उपलब्ध है। ऐसे में नकुल और उसका एक दोस्त (दोनों सेक्स वर्कर के ही बच्चे हैं) ने सोचा कि कैसे इन लोगों की मदद की जा सकती है। नकुल ने बताया कि हमने एक एनजीओ से संपर्क किया। 200 लोगों तक पहुंचाने के लिए राशन उपलब्ध नकुल ने बताया कि एनजीओ ने हमें बताया कि हम लोग चावल, दाल, तेल, हल्दी, चीनी और लाल मिर्च पाउडर, एकत्रित कर बाकि लोगों में बांट सकते हैं। यह हर घर की बेसिक जरूरत होती है। हाल ही में ओपन स्कूल से 12वीं पास नकुल ने कहा कि शुरू में पुलिसवालों ने हमें यह बांटने में अनिच्छा जताई लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि दोनों बच्चे लोगों की मदद करना चाहते हैं। इन लोगों के पास फिलहाल 200 घरों के लिए राशन किट है। इन लोगों की योजना 800 परिवारों तक राशन पहुंचाने की है। एनजीओ और कम्युनिटी ग्रुप का मिल रहा सहयोग इन दोनों बच्चों का मानना है कि उन लोगों के लिए सेक्स वर्कर के परिवारों तक पहुंचना आसान है। नकुल और उसके दोस्त का कहना है कि वे लोग पीपीई किट पहनकर लोगों के घरों में जाकर उन्हें राशन किट देंगे। यह लोगों को खुद के पास बुलाने से अधिक सुरक्षित होगा। उन्होंने बताया कि हमें लोगों की मदद के लिए कई कम्युनिटी ग्रुप के साथ ही लाइटअप जैसे एनजीओ की भी मदद मिल रही है।


from https://ift.tt/3e2arjM https://ift.tt/2EvLuLS