103 साल के गांधीवादी ने कोरोना को दी मात, भारत छोड़ो आंदोलन में लिया था हिस्सा

बेंगलुरु एक तरफ कोरोना का कहर लोगों की जान ले रहा है वहीं दूसरी तरफ उन लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो कोरोना को पटखनी देकर स्वस्थ होकर लौट रहे हैं। इसी क्रम में जाने-माने गांधीवादी और स्वतंत्र सेनानी एच एस दोरैस्वामी ने 103 साल की उम्र में कोविड से लड़ाई जीत ली है और वह घर लौट रहे हैं। बता दें कि बुजुर्ग दोरैस्वामी गांधीवादी रहे हैं भारत छोड़ो आंदोलन और मैसूरू चलो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। बुधवार को बुजुर्ग दोरैस्वामी ने कहा कि मुझे पांच दिन पहले लक्षण दिखे लेकिन कोई जटिलता नहीं हुई। फिर भी मैंने अस्पताल में भर्ती होने का निर्णय किया, क्योंकि मुझे श्वास की समस्या है। दोरैस्वामी के मुताबिक, वह सरकार के स्वामित्व वाले स्वायत्त अस्पताल, ‘जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च’ में भर्ती हुए थे। उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि जयदेव इंस्टीट्यूट के निदेशक, जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के दामाद डॉ सीएन मंजूनाथ उनके इलाज की निजी तौर पर निगरानी कर रहे थे। भारत छोड़ो आंदोलन में भी लिया था हिस्सा दोरैस्वामी ने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था और 1943 से 1944 तक 14 महीने जेल में रहे थे। गांधीवादी ने मैसूरू चलो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था जिस वजह से मैसूरू के महाराज को आज़ादी के बाद अपनी रियासत का भारतीय संघ में विलय करना पड़ा था।
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