क्या कोरोना वायरस कोविड-19 स्ट्रेन B.1.617 हवा से फैल रहा है?

नई दिल्ली कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन B.1.617 ने एक्सपर्ट्स की नींद उड़ा दी है। वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। देश में आंकड़ों का ग्राफ रोजाना 4 लाख के ऊपर पहुंच रहा है। सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि नया स्ट्रेन मौजूदा स्ट्रेन N440K की जगह ले रहा है। इन सबके बीच सवाल उठ रहे हैं कि क्या नया कोरोना स्ट्रेन हवा से भी फैल रहा है। आइए जानते हैं कि हवा से कोरोना वायरस के फैलने को लेकर क्या स्टडी सामने आई है...
- लांसेट की हालिया स्टडी में कहा गया है कि कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) का ट्रांसमिशन हवा के जरिए हो रहा है। अप्रैल में लांसेट के रिसर्च में कोरोना वायरस के एयरबोर्न यानी हवा से फैलने की बात सामने आई है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने भी अपनी गाइडलाइन में वायरस के एयरबोर्न होने की बात को शामिल किया है।
- लांसेट की स्टडी में बताया गया है कि वायरस के सुपरस्प्रेडर इवेंट महामारी को तेजी से आगे ले जाते हैं। इसमें कहा गया है कि ऐसे ट्रांसमिशन का बूंदों की बजाए हवा (aerosol) के जरिए होना ज्यादा आसान है।
- बिना लक्षण या लक्षण से पहले ऐसे लोगों से ट्रांसमिशन जिन्हें खांसी या छींक ना आ रही हो, उनसे ट्रांसमिशन के कम से कम एक तिहाई मामले हैं। इससे हवा के रास्ते वायरस फैलने की धारणा को बल मिलता है। रिसर्च में कहा गया है कि बोलते वक्त हजारों पार्टिकल पैदा होते हैं। कई बड़ी बूंदों से हवा के जरिए वायरस फैलने का रास्ता खुलता है।
- वायरस के ट्रांसमिशन (संचार) की दर इंडोर में और उन जगहों में ज्यादा है, जहां वेंटिलेशन (हवा का संचार) कम है।
- यही नहीं अस्पतालों और मेडिकल इंस्टिट्यूट्स में भी संक्रमण तेजी से फैला है, जहां कॉन्टैक्ट और ड्रॉपलेट से जुड़े कड़े नियमों और PPE का कड़ाई से पालन होता है। हालांकि, Aerosol से बचने के लिए कोई तरीका नहीं होता।
- लैब में SARS-CoV-2 वायरस हवा में मिलने का दावा किया गया है। इस दौरान वायरस 3 घंटे तक हवा में संक्रामक हालत में रहा। कोविड-19 मरीजों के कमरों और कार में हवा के सैंपल में वायरस मिला। रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा में वायरस का सैंपल इकट्ठा करना काफी चुनौतीपूर्ण है।
- लांसेट की स्टडी के मुताबिक, इस बात के सबूत नहीं हैं कि वायरस बड़ी बूंदों या सतहों के जरिए फैलता है।
- अस्पतालों और कोविड-19 के मरीजों वाली इमारतों के एयर फिल्टर्स और डक्ट में वायरस मिला है, जहां सिर्फ aerosol पहुंच सकते हैं।
- अलग-अलग पिंजरों में कैद जानवरों में भी ट्रांसमिशन मिला है जो एयर डक्ट से ही जुड़े थे।
- नई रिपोर्ट के आधार पर एक्सपर्ट्स ने कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल में फौरन बदलाव करने का सुझाव दिया है। इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा के छह एक्सपर्ट्स ने यह रिपोर्ट तैयार की है।
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