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अप्रैल में 200% बढ़ी मृत्यु दर, मुंबई में कोरोना की यह डरावनी स्पीड दे रही बड़ी टेंशन

मुंबई मुंबई में बढ़ते कोरोना केसेस के बीच कुछ राहत भरी खबरें आने लगी हैं। अप्रैल महीने में कोरोना पॉजिटिव केस में कमी आई है। हालांकि चिंता का विषय यह है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। कोरोना से मरने वालों की संख्या में 200 फीसदी ज्यादा हो गई है। अप्रैल के पहले सप्ताह में जहां कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 166 था, वहीं यह अप्रैल के अंत तक बढ़कर 460 हो गया। मार्च में कुल 215 कोरोना डेथ हुई थीं, जो अप्रैल में बढ़कर सात गुना (1479) हो गया। बीएमसी के कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हम राज्य टास्क फोर्स के विशेषज्ञों के साथ इस पर गहन विचार कर रहे हैं। मृत्यु दर (सीएफआर) विस्तृत रूप से देखी गई है। इससे पता चला है कि अप्रैल के पहले सप्ताह में मृत्युदर 0.24 फीसदी, दूसरे हफ्ते में 0.46 फीसदी, तीसरे में 0.63 फीसदी और चौथे सप्ताह तक बढ़कर 1.27 फीसदी हो गया। 'कुछ समय में आएगी मृत्यु दर में कमी' केईएम के पूर्व डीन और कोविड मौत ऑडिट कमिटी के प्रमुख डॉ. अविनाश सुपे ने भी माना कि सीएफआर में तेजी आई है और कुछ समय तक यह ऐसे ही रहेगी। जैसा कि हम अगले कुछ हफ्तों में सक्रिय मामलों में धीरे-धीरे गिरावट देख रहे हैं, मृत्यु दर में भी कमी आएगी लेकिन ऐसा होने में थोड़ा समय लगेगा। अप्रैल के तीसरे और चौथे सप्ताह में बड़ी संख्या में मौतों की संभावना पहले से ही थी क्योंकि पहले और दूसरे सप्ताह में मामलों में भारी वृद्धि देखी गई। एपिडेमियोलॉजिस्ट गिरिधर बाबू ने कहा कि वृद्धि और कैजुएलिटी के बीच हमेशा अंतराल होता है। '10 फीसदी मरने वाले 45 वर्ष से कम उम्र के' गिरिधर बाबू ने कहा कि एक मरीज आमतौर पर ठीक होने या मरने से पहले 14 दिनों के लिए आईसीयू में रहता है। इसलिए, मामलों में गिरावट शुरू होने के कुछ हफ़्तों बाद मौतों में वृद्धि देखी जाती है। दूसरी लहर में मृत्यु दर पहले की तुलना में अधिक है। डॉ. सुपे ने कहा कि लगभग 10 फीसदी मौतें 45 वर्ष से कम आयु के मरीजों की हुई। महीने की शुरुआत से ही बढ़े मामले वार्ड के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें हाल के दिनों में उनके वार्ड से ज्यादा मौतौं की सूचनाएं मिलीं। एक अधिकारी ने कहा कि हमें लगभग 25 मौतों की सूचना मिली जो बीते 3-4 दिनों में रिपोर्ट नहीं हुई थीं। एक अन्य ने कहा कि यह अपेक्षित था। जब इस महीने की शुरुआत में मामले अपने चरम पर थे, तो आईसीयू और वेंटिलेटर बेड मिलना मुश्किल था। गंभीर मामलों में इलाज में देरी हो रही थी इसलिए मृत्युदर ज्यादा था। एमएमआर इलाके के रहने वाले थे अधिकांश हालांकि, केईएम अस्पताल के डीन डॉ. हेमंत देशमुख ने कहा कि उनके अस्पताल में 60 फीसदी मौतें उन लोगों की हुईं जो एमएमआर क्षेत्र के रहने वाले थे। उन्होंने कहा कि हमारे अस्पताल में एडमिट होने वाले 40 फीसदी लोग एमएमआर इलाके के रहने वाले होते हैं। केईएम में मौतें जनवरी में 13, फरवरी में 8, मार्च में 32 से अप्रैल में 59 हुईं।


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