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भारत से कोरोना कैसे भागेगा? जानें अमेरिका के सबसे बड़े वायरस एक्सपर्ट ने क्या कहा

नई दिल्ली देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। 22 अप्रैल के बाद से देश में लगातार रोजाना तीन लाख से अधिक कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। 1 मई को तो अब यह आंकड़ा पिछले 24 घंटे में 4 लाख नए मामलों को पार कर गया है। कोरोना संक्रमण की चेन को रोकने के लिए बाइडेन प्रशासन के चीफ मेडिकल ऑफिसर और महामारी एक्सपर्ट डॉ. एंथनी फाउची (Dr. Anthony Fauci) ने कुछ सुझाव दिए है। डॉ. एंथनी फाउची वैश्विक रूप से कोरोना संक्रमण को रोकने पर काम कर रहे हैं। अस्थायी शटडाउन हो सकता है उपाय इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में डॉ. एंथनी फाउची ने कहा कि भारत में कोरोना संक्रमण की चेन को रोकने के लिए 6 महीने का शटडाउन करने की जरूरत नहीं है बल्कि इसके लिए अस्थायी शटडाउन किया जा सकता है। सात अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ काम कर चुके डॉ. फाउची ने कहा कि किसी को भी यह पसंद नहीं है कि देश को बंद किया जाए लेकिन भारत में कुछ सप्ताह का लॉकडाउन संक्रमण की चेन तोड़ सकता है। इंटरव्यू में डॉ. फाउची ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए तत्काल, मध्यवर्ती और लंबी अवधि में किए जाने वाले उपायों के तीन चरणों का जिक्र किया। मैं आलोचना में नहीं फंसता, ये मेरा काम नहीं यदि आप मोदी सरकार में होते तो देश में संक्रमण को रोकने के लिए क्या कदम उठाते? इस सवाल के जवाब में डॉ. फाउची ने कहा कि सबसे पहले तो मैं इस आलोचना में शामिल नहीं होता कि भारत ने इस पूरे मामले को कैसे संभाला है। ऐसा करने से यह राजनीतिक मुद्दा बन जाता। मैं ऐसा नहीं करना चाहता क्योंकि मैं हेल्थ फील्ड से जुड़ा हूं और मैं कोई राजनेता नहीं हूं। वैक्सीन लगाना एक उपाय लेकिन असर में देरी उन्होंने कहा कि पहले यह देखना होगा कि तुरंत आप कौन से कदम उठा सकते हैं। या इसके बाद अगले दो सप्ताह में कौन से कदम उठा सकते हैं। लोगों को वैक्सीन लगाना एक उपाय हो सकता है। यह जरूरी भी है लेकिन फिलहाल यह लोगों की ऑक्सिजन, अस्पताल में एडमिट होने और इलाज से जुड़ी मौजूदा समस्या को कम नहीं करेगा। इसकी वजह है कि वैक्सीन का असर होने में समय लगता है। ऑक्सिजन, दवाइयों से जुड़ी समस्या दूर करें फिलहाल लोगों का ख्याल रखना जरूरी है। डॉ. फाउची ने कहा कि मुझे लगता है कि एक कमिशन या इमरजेंसी ग्रुप बनाना चाहिए जो ऑक्सिजन प्राप्त करने, अन्य मेडिकल सप्लाई, दवाइयां, उपकरणों की सप्लाई से जुड़ी प्लानिंग कर सके। इस काम में अन्य देशों के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद ली जा सकती है। ऐसे में दूसरे देशों को भी भारत की मदद के लिए आना चाहिए क्योंकि भारत ने भी दूसरे देशों के प्रति उदारता दिखाई है। चीन की तरह बनाएं अस्थायी अस्पताल इसके बाद मध्यवर्ती उपाय हो सकता है कि आप चीन की तरह काम करें। चीन ने कुछ सप्ताह के अंदर ही अस्थायी अस्पताल तैयार कर लिए थे। भारत में भी लोग अस्पताल और इलाज ढूंढ रहे हैं। इसमें अमेरिका की तर्ज पर सेना की मदद ली जा सकती है। अमेरिका ने वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन में नेशनल गार्ड की मदद ली थी। लंबी अवधि में वैक्सीन ही कारगर डॉ. फाउची ने कहा कि लंबी अवधि में मैं लोगों को वैक्सीन लगवाने पर ही जोर देता। भारत जैसे अधिक आबादी वाले देश में अभी महज दो परसेंट लोगों को ही वैक्सीन लग पाई है। ये स्थिति बहुत गंभीर है। आपको अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगवानी होगी। इसके लिए वैक्सीन की सप्लाई बढ़ानी होगी। वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से बातचीत कर कॉन्ट्रैक्ट करना होगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक है लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना है। वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने का होता है फायदा डॉ. फाउची ने बताया गया कि वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने से काफी फायदा दिखता है। इसमें संक्रमण का खतरा कम होगना और वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होना शामिल है। डॉ. फाउसी ने कहा, ''वैक्सीन लगवाइए और अगर एक खुराक आपने ले ली है तो सुनिश्चित करिए कि दूसरी खुराक भी लगवा लें।'' उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने दो खुराक में से एक खुराक टीका लगवा लिया है उनके लिए कोर्स पूरा करना जरूरी है ताकि वायरस से उनकी अधिकतम रक्षा हो सके।


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