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एक बार फिर आमने- सामने योगी और कैप्टन, मलेरकोटला पर महाभारत के पीछे क्या है वजह

चंडीगढ़ मलेरकोटला पहले, संगरूर जिले का एक कस्बा था। इसे अब पंजाब का 23वां जिला घोषित किया गया है। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इसे जिले का दर्जा देने का वादा किया था। पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने ईद के मौके पर मलेरकोटला को पंजाब का 23 वां जिला घोषित किया। इस मुद्दे को लेकर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह आमने-सामने हैं। यह दूसरी बार है जब योगी ने अमरिंदर सिंह पर मुस्लिम प्रेम का आरोप लगाया है। इससे पहले दोनों सरकारें मुख्तार अंसारी को लेकर भिड़ गई थीं। मुस्लिम बहुल शहर के निवासियों ने इस फैसले को राज्य सरकार की ओर से ईद का तोहफा बताया है। निवासियों ने कहा कि जिले के विकास और अन्य सुविधाओं से मलेरकोटला को कई तरह से मदद मिलेगी। खेल को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि हमारी अपनी टीमें प्रतियोगिताओं के लिए जाएंगी। हमें यहां लगभग 100 विभाग भी मिलेंगे जो रोजगार पैदा करेंगे। पंजाब और मलेरकोटला में मुस्लिम आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार मलेरकोटला की कुल आबादी 135424 है। इसमें 68.50 फीसदी मुसलमान हैं। वहीं 20.71 फीसदी हिंदू हैं। यहां सबसे कम 9.50 फीसदी सिखों की आबादी है। पंजाब में सिखों की आबादी 57.69 फीसदी हैं। यहां कुल 1.60 करोड़ सिख हैं। गांवों में 1 करोड़ 23 लाख 41 हजार सिख और शहरों में सिखों की आबादी 36 लाख 56 हजार 295 है। पंजाब में हिन्दुओं की आबादी 38.49 फीसदी यानी 1 करोड़, 6 लाख हिंदू हैं। पंजाब में कुल आबादी का 1.93 फीसदी मुस्लिम आबादी है। मतलब यहां पर मुसलमानों की संख्या 5 लाख 35 हजार है। 1947: पूरे पंजाब में हिंसा फैली लेकिन मलेरकोटला में नहीं मलेरकोटला राज्य की स्थापना बायज़ीद खान ने 1657 में की थी। मलेरकोटला ब्रिटिश काल के दौरान और विभाजन के दौरान एक रियासत थी। इसके अंतिम नवाब, इफ्तखार अली खान की 1982 में मृत्यु हो गई। 1947 के दंगों के दौरान, जब पंजाब राज्य आग की लपटों में था, मलेरकोटला में हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई। गुरु गोबिंद सिंह ने शेर मोहम्मद को दिया था आशीर्वाद ऐसा कहा जाता है कि 1705 में सिखों के 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह के 9 और 7 साल के बेटों साहिबजादा फतेह सिंह और साहिबजादा जोरावर सिंह को सरहिंद के गवर्नर वजीर खान ने जिंदा ईंटों में चुनवाने का आदेश दिया था। वजीर खान के करीबी रिश्तेदार, शेर मोहम्मद खान, मालेरकोटला के नवाब, जो अदालत में मौजूद थे उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि यह इस्लाम के खिलाफ है। फिर भी वज़ीर खान ने साहिबजादों को प्रताड़ित किया और उन्हें दीवार के एक हिस्से में जिंदा चुनवाकर मार दिया। उसके बाद मलेरकोटला के नवाब विरोध में अदालत से बाहर चले गए। इसके बारे में जानने पर गुरु गोबिंद सिंह ने नवाब को धन्यवाद देने के साथ ही उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।


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