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किसान आंदोलन...पंचायत चुनाव में झटका, 'शूटर दादी' तो बहाना, BJP का जाट वोट बैंक पर निशाना?

दाब रिजवी, मेरठ जाटलैंड में बीजेपी को शायद अपनी खोई ताकत का एहसास है। यही वजह है कि बागपत की शूटर दादी चंद्रो तोमर के बहाने जाटों को लुभाने की कवायद तेज हो गई है। यूपी की योगी सरकार ने हाल ही में शूटर दादी चंद्रो को सम्मान देने के नोएडा शूटिंग रेंज उनके नाम पर करने का ऐलान किया है। सियासी जानकार इसे जाटों को साधने के लिए बीजेपी के सियासी दांव के रूप में देख रहे हैं। तीन कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर वेस्ट यूपी में बीजेपी का ग्राफ नीचे माना जा रहा है। वेस्ट यूपी के गांवों में कई जगह बीजेपी नेताओं का विरोध होने और पंचायत चुनाव में कम समर्थन मिलने से बीजेपी संगठन में बेचैनी हैं। वेस्ट यूपी अध्यक्ष मोहित बेनीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री का ऐलान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही बीजेपी ने क्षेत्रीय अध्यक्षों की घोषणा में जातीय समीकरणों को साधा है। 3 चुनाव में मिला साथ, पंचायत चुनाव में पिछली बीजेपी 2013 में मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद जाटों का बड़ा साथ बीजेपी को मिला था। जो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के अलावा 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बरकरार रहा। अब किसान आंदोलन से नाराजगी देखी गई। इसका सीधा असर पंचायत चुनाव में देखने को मिला। जिला पंचायत सदस्य से लेकर बाकी पदों पर बीजेपी को उम्मीद से भी कम जीत मिल सकी। शूटर दादी के बहाने बीजेपी का सियासी दांव! खासकर चौधरियों के जनाधार पर वेस्ट यूपी में अपनी पहचान रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल और उसकी साथी समाजवादी पार्टी को पंचायत चुनाव में वेस्ट यूपी में पसंद किया गया। ऐसे में शूटर दादी चंद्रो के निशाने से उनके सजातीय जाट वोट बैंक पर सियासी निशाना साधने की रणनीति के तौर पर योगी के इस कदम को देखा जा रहा हैं। दरअसल, बागपत के गांव जौहड़ी की शूटर दादी चंद्रो तोमर के नाम पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा शूटिंग रेंज का नाम रखने की घोषणा की है। दादी चंद्रो के नाम कई खिताब हैं। कोरोना पॉजिटिव शूटर दादी चंद्रो तोमर ने 30 अप्रैल को अंतिम सांस ली थी। किसान आंदोलन से संजीवनी लेकर मिशन-2022 में जुटी RLD उधर वेस्ट यूपी में खेती कानून को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन से हाशिये पर जा चुकी आरएलडी को नई संजीवनी मिल गई है। आरएलडी ने जिला पंचायत चुनाव में अपना परचम लहराया। अब नई ताकत के साथ आरएलडी अगले साल 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। इसी कड़ी में आरएलडी से छिटक चुके नेता पार्टी में वापसी कर रहे हैं। यहां तक कि माहौल को देखते हुए बीजेपी के जाट नेता भी आरएलडी जॉइन कर रहे हैं। शामली के थानाभवन से पूर्व विधायक राव अब्दुल वारिस ने आरएलडी का दामन थाम लिया है। 2013 में मुजफ्फरनगर-शामली में हुए दंगों के बाद आरएलडी का वोट बैंक बुरी तरह से बिखर गया था। आरएलडी अब अपने वोट बैंक को सहेजने में जुट गई है। दरअसल, जानकारों का कहना है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ वेस्ट यूपी में किसानों के सरकार और बीजेपी के खिलाफ पनपे कथित आक्रोश को आरएलडी ने अपने पक्ष में करने में काफी हद तक कामयाबी हासिल की। (शामली से एनबीटी संवाददाता शरद मलिक के इनपुट के साथ)


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