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जासूसी कांड: संसद में विपक्ष का 'चक्रव्‍यूह', भेदने को मोदी सरकार ने बनाया यह प्‍लान

नई दिल्‍ली पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारतीय मोबाइल नंबर्स को निशाना बनाए जाने से जुड़े खुलासों को विपक्ष ने 'गंभीर' बताया है। आज से शुरू होने संसद के मॉनसून सत्र में विपक्षी दल इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में हैं। हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला सोमवार सुबह होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में होगा। दूसरी तरफ, सरकार इस पूरे विवाद में जरा भी कमजोर दिखना नहीं चाहती। सरकार ने एक मजबूत डिफेंस तैयार किया है जिसके जरिए विपक्ष के हमलों को कुंद किया जाएगा। कांग्रेस को दिख रहा सरकार को घेरने का मौकामुख्‍य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि इस मसले को उठाया ही जाना चाहिए। पार्टी ने इसे 'सरकारी सर्विलांस' करार देते हुए कहा कि यह संवैधानिक लोकतंत्र के ढांचे और लोगों की निजता पर करारी चोट है। राज्‍यसभा में कांग्रेस के उप-नेता आनंद शर्मा ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में कहा, "सरकार यह कहकर बच नहीं सकती कि उन्‍हें वेरिफाई करना होता है या कुछ और। ये बेहद गंभीर मसले हैं। कौन सी एजेंसियां हैं जिन्‍हें मालवेयर मिला है? किन एजेंसियों ने पेगासस खरीदा? यह कोई ऐसी बात नहीं है जिससे सरकार भाग सके।" शर्मा ने पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग रखी है। उन्‍होंने कहा, "विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, संपादकों, सुप्रीम कोर्ट जजों, बड़े कारोबारी नेताओं के फोन टैप हो रहे हैं। जो कुछ भी सामने आ रहा है, उस बारे में संसद के पटल पर आशंकाएं पहले ही व्‍यक्त की जा चुकी हैं। यह चर्चा या बहस का सवाल नहीं है। इसकी खुली जांच होनी चाहिए, कोई सरकारी जांच नहीं। कानून और संविधान के तहत जवाबदेही तय होनी चाहिए... हम इसी के लिए लड़ेंगे।" बाकी विपक्षी दल भी छोड़ने के मूड में नहींकम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ इंडिया के नेता बिनय विश्‍वम ने कहा कि वह राज्‍यसभा में बाकी सारे काम बंद कर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस देंगे। उन्‍होंने कहा, "फासीवाद का इतिहास बताता है कि अपने डर से पार पाने के लिए फासीवाद किसी भी हद तक जा सकते हैं। मैं संसद में स्‍थगन प्रस्‍ताव का नोटिस दूंगा।" AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि उसने NSO ग्रुप की सेवाएं ली या नहीं। पेगासस सॉफ्टवेयर NSO का ही उत्‍पाद है। जरा भी कमजोर नहीं दिखना चाहती सरकारविपक्ष के हल्‍लाबोल से सरकार जरा भी प्रभावित नहीं दिख रही। सरकार ने फिर दोहराया है कि 'कोई अनाधिकृत इंटरसेप्‍शन' नहीं हुआ है। इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना मंत्रालय (MEITY) के एक सूत्र के हवाले से एनडीटीवी ने कहा, "हमें किसी बात का डर नहीं है, सरकार के पास छिपाने को कुछ नहीं। हम हर सवाल का जवाब देंगे। न्‍यूज आर्टिकल से कुछ साबित नहीं होता। असल में, पेगासस को सरकार से जोड़ने के लिए पिछले प्रयास फेल हो गए हैं।" 'जासूसी कांड' पर क्‍या बोली मोदी सरकार?सोमवार को जारी रिपोर्ट्स को केंद्र से सिरे से खारिज कर दिया। सरकार की ओर से कहा गया कि 'इन बातों का कोई ठोस आधार नहीं है।' दावों को नकारते हुए केंद्र ने कहा कि 'भारत एक लचीला लोकतंत्र है और वह अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।' क्‍या है जासूसी से जुड़ा पूरा विवाद?सोमवार को वैश्विक स्‍तर पर कुछ मीडिया संस्‍थानों ने मिलकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इसमें भारत समेत विभ‍िन्‍न देशों में इजरायली NSO ग्रुप के 'पेगासस' स्‍पाईवेयर के जरिए कई लोगों के सर्विलांस की बात कही गई। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कम से कम 38 लोगों की जासूसी की गई। इनमें पत्रकारों से लेकर कारोबारियों, मंत्रियों और एक सुप्रीम कोर्ट जज का नाम भी आया है। लीक हुए डेटा में 50000 से अधिक फोन नंबरों की सूची है।


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