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खंडवा उपचुनाव : कई दावेदारों ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें, कमलनाथ की मीटिंग में नहीं आए अरुण यादव

खंडवा एमपी में खंडवा लोकसभा सीट (Khandwa Lok Sabha Seat Byelection) बीजेपी सांसद नंद कुमार सिंह चौहान के निधन के बाद खाली है। बीजेपी की तरफ से चर्चा है कि उनके परिवार से ही किसी को टिकट मिल सकता है। वहीं, कांग्रेस में कई दावेदार सामने आ गए हैं। इन दावेदारों ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चर्चा है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव भी यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी की तरफ से उन्हें अभी तक ग्रीन सिग्नल नहीं मिला है। गुरुवार को भोपाल में कांग्रेस की बैठक में भी वह नहीं पहुंचे। साथ ही कमलनाथ ने यह साफ कर दिया है कि सर्वे के बाद ही वहां उम्मीदवार का नाम फाइनल करेंगे। पूर्व एमपी अरुण यादव क्षेत्र में सक्रिय हैं और चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ दिन पहले इसे लेकर जब कमलनाथ से सवाल किया गया था, तो उन्होंने कहा था कि अरुण यादव ने मुझे कभी नहीं बताया है कि वह चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके बाद से यह तय माना जा रहा है कि अभी उनकी दावेदारी पक्की नहीं है। पार्टी तय करेगी वहीं, उपचुनाव की तैयारियों को लेकर कमलनाथ ने गुरुवार को भोपाल में पार्टी नेताओं के साथ बैठक की थी। इस बैठक में अरुण यादव नहीं पहुंचे थे। अरुण यादव अभी अपनी दावेदारी पर खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। नवभारत टाइम्स.कॉम ने फोन पर अरुण यादव से इसे लेकर बात की है। अरुण यादव ने टिकट के सवाल पर कहा कि यह पार्टी तय करेगी। चुनाव लड़ने के सवाल पर अरुण यादव ने कहा कि पार्टी सर्वे करवा रही है, इसके बाद ही तय करेगी। सुरेंद्र सिंह शेरा अपनी पत्नी के लिए कर रहे दावेदारी बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने खंडवा से अपनी पत्नी के लिए दावेदारी ठोक कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सुरेंद्र सिंह शेरा हैं तो निर्दलीय विधायक लेकिन तत्कालीन कमलनाथ की सरकार को वह समर्थन देते रहे हैं। इसकी वजह से उन्हें तत्कालीन सरकार में मंत्री बनाने का भी भरोसा मिला था। शेरा ने अपनी दावेदारी से कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। शेरा ने कहा कि सर्वे में उनकी पत्नी के पक्ष में जिताऊ रिपोर्ट आएगी। कमलनाथ के फैसले पर उठा चुके हैं सवाल अरुण यादव की राह में दूसरा रोड़ा यह है कि वह कमलनाथ के फैसले पर सवाल उठा चुके हैं। कुछ महीने पहले हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया को कमलनाथ ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी। इसी को लेकर उन्होंने सवाल उठाया था। इसके बाद कांग्रेस दो खेमों में बंट गई थी। एक खेमा कमलनाथ के बचाव में उतर आई थी। यहीं, विरोध अरुण यादव को भारी पड़ सकता है। संगठन से है लड़ाई वहीं, कमलनाथ ने कहा है कि मैं शुरू से ही कहता हूं कि हमारा मुकाबला बीजेपी से नहीं बल्कि उसके संगठन से है। आज की राजनीति परिवर्तनशील और स्थानीय हो चली है। अब बड़ी-बड़ी आम सभाओं और रैलियों का समय गया, अब तो बूथ पर और जनता से सीधे जुड़ाव का समय है। हमें क्षमतावान लोगों की पहचान करनी होगी। इन क्षेत्रों में मंडल-सेक्टर की इकाइयों में सभी योग्य, निष्ठावान लोगों का चयन हो।


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