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क्या सियासी मजबूरी ने बचा रखा है देश को हिंदू फासीवाद बनने से?

प्यू रिसर्च सेंटर के 'भारत में धर्म, सहिष्णुता और अलगाव पर सर्वे' में दावा किया गया है कि 90 फीसदी भारतीय धार्मिक तौर पर सहिष्णु हैं। वे अपने धर्म और जाति से बहुत गहरे तौर पर जुड़े हुए हैं और दूसरों के साथ घुलने-मिलने को लेकर उनके अंदर एक हिचक है। सर्वे में शामिल होने वाले ज्यादातर लोगों ने यह भी कहा कि धार्मिक प्रथाओं को लेकर उन्हें आजादी मिली हुई है और वे दूसरे धर्मों का सम्मान करते हैं। बमुश्किल 20 फीसदी लोगों को ही हाल में जातीय या धार्मिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। सर्वे के नतीजों से लगता है कि भले ही हमारा समाज जातीय और धार्मिक आधार पर बंटा हुआ है, लेकिन वह सहिष्णु भी है। यह हिंदू राष्ट्रवादी समाज नहीं है, जिसका डर आलोचकों को रहा है।

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