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बरकरार रहेगी पटाखों पर लगी एनजीटी की रोक, सुप्रीम कोर्ट ने बैन उठाने से किया इनकार

नई दिल्ली ने कोविड के दौरान फायर क्रैकर की बिक्री पर एनजीटी की बैन को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या आपको स्वास्थ्य पर पटाखों के प्रभाव का पता लगाने के लिए आईआईटी रिपोर्ट की जरूरत है? दिल्ली में रहने वाले लोगों को इसके प्रभाव पता है, उनसे पूछिये कि दिवाली के समय क्या स्थिति होती है। इन टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश में दखल से इनकार कर दिया। एनजीटी ने अपने आदेश में कोविड के समय खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) वाले इलाके में पटाखों की बिक्री पर बैन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि पटाखे का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को मापने के लिए किसी साइंटिफिक स्टडी की आवश्यकता नहीं है। दिल्ली में रहने वाला हर शख्स इससे अवगत है। खासकर, दिवाली के समय क्या प्रभाव होता है, ये सबको मालूम है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या आप आईआईटी रिपोर्ट का अध्ययन करना चाहते हैं कि हेल्थ पर इसका क्या प्रभाव होता है? एनजीटी के आदेश को पटाखा बेचने वालों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा कि अगर एयर क्वॉलिटी बेहतर होगी तो अथॉरिटी पटाखे की बिक्री की इजाजत दे सकती है। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स अच्छा होने पर इसके इस्तेमाल की इजाजत हो सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पीएस नरसिम्हा ने कहा कि कोविड के समय फायर क्रैकर की बिक्री पर पूरी तरह से बैन कर दिया गया, लेकिन बेंच ने कहा कि जहां खराब एयर क्वॉलिटी थी, वहीं बेचने पर बैन हुआ है, लेकिन उसके निर्माण पर बैन नहीं हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनजीटी के आदेश में दखल की जरूरत नहीं है और अर्जी खारिज की जाती है।


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