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बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को साधने में जुटीं ममता, बड़ी रैली से ताकत दिखाने की तैयारी

नई दिल्ली संसद के अंदर और बाहर विपक्षी दलों को एकमंच पर लाने की दिशा में पहल का अगला बड़ा चरण अगले हफ्ते शुरू हो सकता है। पहले चरण में इसकी अगुवाई एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने थी। इस बार इसकी पहल पश्चिम बंगाल की सीएम बनर्जी कर रही है। ने बुधवार को अपने मंसूबे भी दिखा दिए और सार्वजनिक तौर पर विपक्षी एकता की कोशिश करने का एलान भी किया। इसके लिए वह सोमवार से पांच दिनों के दिल्ली दौरे पर भी आ रही हैं, जिसमें तमाम विपक्षी दलों से भी मिलेंगी। सूत्रों के अनुसार ममता कोलकाता में तमाम विपक्षी दलों की एक संयुक्त बड़ी रैली कराने की तैयारी में है, जिसके लिए वह विपक्षी नेताओं से बात भी करेगी। सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी की भी ममता बनर्जी से मुलाकात की तैयारी है। अगर यह मीटिंग होती है तो विपक्षी एकता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। उधर बुधवार को ममता बनर्जी ने 2 मई को चुनाव जीतने के बाद पहली बार अपनी राष्ट्रीय हसरत सामने रखी, जब उन्होंने शहीद दिवस कार्यक्रम को पूरे देश में आयोजित किया। 'शहीद दिवस' कार्यक्रम के जरिए विपक्ष को साधने की कोशिश दरअसल कोलकाता में 1993 में 21 जुलाई को तत्कालीन लेफ्ट सरकार के खिलाफ रैली में जमा युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर पुलिस गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई थी। ममता बनर्जी उस समय कांग्रेस में थीं। उन 13 कार्यकर्ताओं की याद में तृणमूल कांग्रेस हर साल 21 अगस्त को शहीद दिवस मनाती है। उन्होंने बुधवार के कार्यक्रम को देश के अलग-अलग हिस्सों से जोड़ा। ममता बनर्जी के कार्यक्रम में दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब से कांग्रेस से पी. चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, आरजेडी के मनोज झा, शिवसेना से प्रियंका चतुर्वेदी, एनसीपी से शरद पवार और सुप्रिया सुले, डीएमके के टी शिवा, एसपी के रामगोपाल यादव के अलावा दूसरे विपक्षी दलों के नेता जुड़े। कांग्रेस के लेकर नरम रुख ममता बनर्जी ने अपना भाषण हिंदी में भी दिया। उन्होंने विपक्षी दलों से कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में को हराने के लिए सभी को साथ आना होगा। पिछले दो महीने में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस भी ममता बनर्जी के प्रति नरम हुई है। टीएमसी के एक सीनियर नेता ने एनबीटी से कहा कि अभी विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व तय करने का कोई सवाल नहीं है। अभी नरेंद्र मोदी की अगुवाई बीजेपी के सामने विपक्ष को एक होना है। बाकी छोटी-मोटी बातें बाद में तय हो जाएंगी। दूर करना होगा विरोधाभास हालांकि कुछ विपक्षी दलों ने कांग्रेस पर संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिन दूसरे विपक्षी दलों को लूप में नहीं लेने का आरोप भी लगाया, इससे दो दिनों के अंदर कई बार विरोधाभास भी दिख गया। पहले पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कोविड मैनेजमेंट पर बुलाई गई, मीटिंग में विपक्ष बंटता दिखा जिससे कांग्रेस,आरजेडी,आप जैसी कई पार्टियां दूर रही तो टीएमसी,एनसीपी सहित दूसरे दल मीटिंग में गए। उसी तरह राज्यसभा में कोविड मुद्दे पर बहस की मांग और जासूसी प्रकरण का मसला उठाने को लेकर भी विपक्ष में एकरूपता नहीं दिखी। तालमेल बढ़ाने की कोशिशें जारी हालांकि बाद में मंगलवार को कोविड पर बहस के लिए विपक्ष एकजुट होकर तैयार हुई। एक क्षेत्रीय दल के सीनियर नेता ने कहा कि कोऑर्डिनेशन में कमजोरी को दूर करने के लिए भी कोशिशें की जा रही हैं और अगले हफ्ते जब विपक्षी दलों की मीटिंग होगी तो उसमें इन सब तमाम मुद्दों पर विचार होगा। सूत्रों के अनुसार बड़े मुद्दों पर सामूहिक स्टैंड तय करने के लिए एक कोऑर्डिनेशन कमिटी गठन का भी प्रस्ताव है। वहीं कुछ दल यूपीए को नए सिरे से गठित कर उसमें जरूरत के हिसाब से बदलाव लाने के भी पक्ष में है। कुल मिलाकर अगले कुछ दिनों में विपक्ष में सियासी हलचल देखी जा सकती है, जिसका असर संसद के अंदर से लेकर बाहर तक देखा जा सकता है। ममता के कार्यकम में शामिल नेताओं में अकाली दन के बलविंदर सिंह,टीआरएस के डॉ केशव राव, आम आदमी पाट्री के संजय सिंह और समाजवादी पार्टी की जया बच्चन भी शामिल थी।


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