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तुम ग्वालियर के महाराजा तो मैं ईरान का शाह...और अंग्रेज पुलिसकर्मी ने काट दिया था ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता का चालान

भोपाल केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री का परिवार बेशुमार संपत्ति का मालिक है। सिंधिया खानदान जितना अपनी समृद्धि को लेकर विख्यात है, उतना ही अपनी लोक हितकारी रवैयों के लिए भी। अंग्रेजों के जमाने से ही यह खानदान सत्ता के केंद्रों के नजदीक रहा है और इस निकटता का इस्तेमाल अपने इलाके की जनता के हित में करता रहा है। यही कारण है कि राजनीति में प्रवेश और इतने लंबे समय तक बने रहने के बावजूद इलाके में इस खानदान की लोकप्रियता बरकरार है। हालांकि, ज्यादा लोकप्रियता के कभी उल्टे नतीजे भी हो सकते हैं। इसका अनुभव ज्योतिरादित्य के पिता को उनके इंग्लैंड दौरे के दौरान हुआ था। 1947 में देश की आजादी से पहले ग्वालियर देश की सबसे बड़ी रियासतों में शामिल था। इसके राजा जीवाजीराव सिंधिया देश के सबसे धनी व्यक्तियों में शामिल थे। उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती थी। अपनी समृद्धि के चलते सिंधिया खानदान की चर्चा इंग्लैंड में भी होती थी। एक बार माधवराव सिंधिया लंदन में गलत तरीके से कार चलाने के जुर्म में पकड़े गए। उन्होंने पुलिसकर्मी से बड़ी मिन्नतें की, लेकिन वह उन्हें छोड़ने को राजी नहीं हुआ। कोई उपाय न देख माधवराव ने पुलिसकर्मी को अपना असली परिचय दिया। उन्होंने पुलिस वाले को बताया कि वे ग्वालियर के महाराजा हैं। माधवराव के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें इसका उल्टा नतीजा भुगतान पड़ा। माधवराव की बात सुनकर पुलिसकर्मी और भी अड़ गया और चालान काटकर ही माना। पुलिसवाले ने सिंधिया से कहा कि यदि तुम ग्वालियर के महाराजा हो तो मैं ईरान का शाह हूं। चुपचाप चालान कटवाओ और यहां से निकलो। दरअसल, अंग्रेज पुलिस वाले को माधवराव की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने सिंधिया घराने की समृद्धि के बारे में सुन रखा था और उसे यह भरोसा नहीं हुआ कि ग्वालियर का महाराजा इतने साधारण तरीके से रह सकता है। उसने बिना चालान काटे माधवराव को वहां से नहीं जाने दिया।


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