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इंदौर में आफत की सड़क, हादसों से भी अफसर नहीं ले रहे सबक



इंदौर  नए इंदौर के विकास में कई बार अधिकारियों से ऐसी गलती हो जाती है जिसकी सजा आम जनता को भुगतनी पड़ती है। एक मुख्य मार्ग पर ऐसी ही तकनीकी गलती अधिकारियों ने कर दी। बापट चौराहे से देवास नाका चौराहे तक की सड़क से स्कीम नंबर 74, स्कीम नंबर 113, स्कीम नंबर 114, स्कीम नंबर 136 और स्कीम नंबर 78 लगा हुआ है। यहां हजारों दोपहिया और चार पहिया वाहनों के साथ ट्रकों की आवाजाही रहती है। सड़क पर कई जगह गड्ढे हो गए हैं जिनमें वाहन चालक गिर रहे हैं। बारिश में तो मुसीबत और बढ़ गई है।


सबसे बड़ी गलती तो सड़क की प्लानिंग में हुई। स्कीम नंबर 136 चौराहे के पहले सड़क को मोड़ने के लिए टर्न दिया गया है लेकिन यह इंजीनियरिंग के पैमानों पर फेल साबित हो रहा है। जिस सड़क पर भारी वाहन चल रहे हों उस सड़क को अचानक मोड़ देने से वाहन चालक दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण के अफसर हादसों से सबक नहीं ले रहे हैं। पहले ही ब्रिलियंट कन्वेंशन चौराहे को दुर्घटनाओं का केंद्र माना जा चुका है और इसे ब्लैक स्पाट में शामिल किया गया है ऐसे में इसी मार्ग पर अंधे मोड़ को सही करने में अनदेखी की जा रही है।

तकनीकी रूप से सही नहीं है मार्ग

एसजीएसआइटीएस के सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डा. एसबी अजमेरा का कहना है मुख्य मार्ग को अचानक मोड़ने पर कुछ पैमानों को ध्यान में रखना होता है। वाहन की गति तेज होती है और वह जब किसी मोड़ पर उल्टे या सीधे हाथ की ओर अचानक मुड़ते हैं तो उनकी गति को नियंत्रित करने के लिए सड़क में सुपर एलिवेशन का उपयोग किया जाता है। इसमें जिस जगह से सड़क को मोड़ा जाता है उसकी ऊंचाई थोड़ी ज्यादा रखी जाती है। इससे वाहन पलटता नहीं है लेकिन बापट से देवास नाका तक जाने वाली सड़क पर इसका ध्यान नहीं रखा गया।


शहर की अन्य सड़कों पर भी अनदेखी देखने को मिलती है। सड़क बनाते समय गड्ढे ठीक से नहीं भरने से इस समय खराब स्थिति बनी हुई है। सड़क के आसपास पेवर ब्लाक लगाने के चलन के कारण बारिश का पानी सड़कों पर भर रहा है इससे सड़क नाले का रूप ले रही है। जिन जगहों पर पानी निकासी के लिए जगह नहीं है वहां पेवर ब्लाक सड़क से नीचे लगाना चाहिए। केवल फुटपाथ वाली जगहों पर इसका उपयोग किया जाना चाहिए।


इस सड़क का निर्माण इंदौर विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2009 मेें किया था। तत्कालीन आइडीए अध्यक्ष मधु वर्मा के कार्यकाल में इस सड़क का निर्माण शुरू हुआ था। सीमेंटीकृत सड़क की उम्र वैसे 25 साल होती है, लेकिन इस सड़क की ऊपरी सतह भी अब खराब होने लगी है। इस सड़क के निर्माण का ठेका आइडीए ने बीआर गोयल कांट्रेक्टर को दिया था।

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