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भारत में हरित आवरण मिशन को बढ़ावा देंगी कोयला परियोजनाएं








भारत में हरित आवरण मिशन को बढ़ावा देंगी कोयला परियोजनाएं

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में जयंत ओपनकास्ट कोयला परियोजना, जो कोयला मंत्रालय के तहत कोल इंडिया लिमिटेड की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है, भूमि बहाली और हरित आवरण को बढ़ाने के मिशन की दिशा में काम कर रही है.

jagran josh

 मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में जयंत ओपनकास्ट कोयला परियोजना, कोयला मंत्रालय के तहत कोल इंडिया लिमिटेड की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक, कोयला खनन गतिविधि के साथ-साथ भूमि बहाली और हरित आवरण को बढ़ाने के मिशन की दिशा में काम कर रही है. यह परियोजना कई ऐसी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में से एक है जिसका उद्देश्य पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए ओपनकास्ट कोयला खनन कार्यों और घने वृक्षारोपण के बाद भूमि की एक साथ बैकफिलिंग/ पुनः हरितीकरण करना है.

जयंत ओपनकास्ट कोयला परियोजना: समीक्षा के दौरान पाये गये निम्नलिखित परिवर्तन

नई दिल्ली में कोयला मंत्रालय के सचिव द्वारा जयंत परियोजना की पर्यावरण और वन मंजूरी की विस्तृत समीक्षा में, NCL ने उपग्रह डाटा प्रदर्शित किया है जिसमें पूर्व-खनन वन कवर की तुलना में अधिक ग्रीन कवर का पता चला है.

पूर्व-खनन वन क्षेत्र लगभग 1,180 हेक्टेयर था और अब यह वर्ष, 2020 के लिए उपग्रह डाटा के आधार पर भूमि सुधार रिपोर्ट के अनुसार बढ़कर 1,419 हेक्टेयर हो गया है. यह जयंत परियोजना के कुल पट्टा क्षेत्र का लगभग 45 प्रतिशत है.

इस खदान के बंद होने के बाद 2,600 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को हरित आवरण के तहत कवर करने का लक्ष्य है जो पूर्व-खनन चरण के दोगुने से अधिक के बराबर होगा.

जयंत ओपनकास्ट कोल प्रोजेक्ट और ग्रीन कवर मिशन

इस ग्रीन कवर मिशन के तहत विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, जयंत परियोजना क्षेत्र के आसपास हर साल बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाता है जिसमें मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड (MPRVVNL) की मदद से पुनः प्राप्त क्षेत्र और ओवरबर्डन (OB) डंप क्षेत्र शामिल हैं.

इस वृक्षारोपण में जंगल जलेबी, जामुन, सिरस, सीसम, सुबाबुल, महुआ, आंवला, बेल, करंज, कचनार, अमलतास, नीम, बोगनविलिया, बांस, गुलमोहर, कैसिया, खमेर आदि के पौधे शामिल हैं.

जयंत ओपनकास्ट कोयला परियोजना के बारे में

जयंत कोयला परियोजना कोयला मंत्रालय, भारत सरकार के तहत, कोल इंडिया लिमिटेड की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है, जो भूमि बहाली और हरित आवरण को बढ़ाने के मिशन की दिशा में काम कर रही है. जयंत परियोजना CIL की सहायक कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) के अधीन है.

जयंत परियोजना 25 मिलियन टन की वार्षिक कोयला उत्पादन क्षमता के साथ 3,200 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाई गई है. इस परियोजना ने 1975-76 में खनन कार्य शुरू किया और 1977-78 में भारी अर्थ मूविंग मशीन (HEMM) जैसे डंपर, फावड़ा, ड्रैगलाइन आदि को तैनात करके यहां कोयला उत्पादन शुरू किया गया.

जयंत परियोजना के माध्यम से उत्पादित कोयले को उत्तर प्रदेश के शक्तिनगर में NTPC के सिंगरौली सुपर थर्मल पावर स्टेशन को भेज दिया जाता है, जिसकी क्षमता 2,000 मेगावाट है.







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