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किसान के बेटे का कमाल, गांव में देसी जुगाड़ से तैयार की वायु प्रदूषण खत्म करने की मशीन, सीपीसीबी ने कहा- हमें भी बताओ तकनीक

वायु प्रदूषण से इंडिया के सभी बड़े शहर जूझ रहे हैं। इन समस्याओं के बीच एमपी के कटनी जिले के रहने वाले किसान के इंजीनियर बेटे ने कमाल किया है। बड़वारा तहसील के मझगवां गांव में रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियर सुनील कुशवाहा ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एक खास मशीन तैयार की है। इससे वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। खास बात यह है कि इससे ओजोन को भी किसी तरह का नुकसान नहीं होगा।

 सुनील ने यह मशीन तीन लाख रुपये खर्च कर खुद के पैसों से तैयार की है। मशीन की खासियत को देखते हुए कटनी के तत्कालीन कलेक्टर ने सुनील को सम्मानित किया है। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मशीन की डिजाइन साझा करने के लिए पत्र लिखा है।

कटनी जिले में किसान (Farmer Son Success Story) के इंजीनियर बेटे ने कमाल किया है। उसने वायु प्रदूषण रोकने के लिए एक खास मशीन बनाई है। इसे तैयार करने वाले मैकेनिकल इंजीनियर सुनील कुशवाहा ने दावा किया है कि कुछ ही घंटों में यह मशीन पांच एकड़ में फैले जमीनी प्रदूषण को खत्म कर देती है।


किसान के बेटे का कमाल, गांव में देसी जुगाड़ से तैयार की वायु प्रदूषण खत्म करने की मशीन, सीपीसीबी ने कहा- हमें भी बताओ तकनीक

वायु प्रदूषण से इंडिया के सभी बड़े शहर जूझ रहे हैं। इन समस्याओं के बीच एमपी के कटनी जिले के रहने वाले किसान के इंजीनियर बेटे ने कमाल किया है। बड़वारा तहसील के मझगवां गांव में रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियर सुनील कुशवाहा ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एक खास मशीन तैयार की है। इससे वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। खास बात यह है कि इससे ओजोन को भी किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। सुनील ने यह मशीन तीन लाख रुपये खर्च कर खुद के पैसों से तैयार की है। मशीन की खासियत को देखते हुए कटनी के तत्कालीन कलेक्टर ने सुनील को सम्मानित किया है। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मशीन की डिजाइन साझा करने के लिए पत्र लिखा है।



क्या है मशीन की खासियत
क्या है मशीन की खासियत

इस मशीन को बनाने वाले सुनील कुशवाहा का दावा है कि उसने सीमित संसाधनों से जो मशीन तैयार की है, वो वायु प्रदूषण को 90 से 95 प्रतिशत रोकने में सक्षम है। यह मशीन कुछ ही घंटों में पांच एकड़ क्षेत्र के जमीनी प्रदूषण को साफ कर देती है। इस मशीन में प्रकाश संश्लेषण की तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे दूषित हवा को एक नेचुरल हवा में बदला जाता है। साथ ही मशीन के जरिए गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।



सुनील ने गांव से की है शुरुआती पढ़ाई
सुनील ने गांव से की है शुरुआती पढ़ाई


सुनील ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा गांव में करने के बाद हायर सेकेंडरी एजुकेशन कटनी के एक निजी स्कूल से प्राप्त किया। इसके बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई जबलपुर से पूरी की है। सुनील के दिमाग में एयर पॉल्यूशन मशीन बनाने का आइडिया आने का भी वाक्या दिलचस्प है। सुनील ने बताया कि एक बार मैं कालेज के लिए कटनी से जबलपुर ट्रेन से जा रहा था।


 डिब्बे में भीड़ होने के कारण सीढ़ी के ऊपर दरवाजे पर बैठकर जा रहा था, मैं जिस डिब्बे में बैठा था, वह इंजन से दूसरे नंबर पर था। जिसके कारण ट्रेन के इंजन से निकला हुआ धुआं मुंह में आकर लगा, जिससे हमें कुछ मिनटों तक सांस लेने में समस्या हुई। हमने सोचा कि यह तो धुआं बहुत ही खतरनाक है, इससे बहुत सारी समस्याएं हो सकती हैं और इसे रोकना चाहिए। इसके बाद मशीन बनाने की दिशा में कदम उठाया।



मशीन में लगे हैं ये उपकरण
मशीन में लगे हैं ये उपकरण

मशीन में विभिन्न तकनीक का प्रयोग किया गया है। इसमें प्रदूषण का स्तर जांचने के लिए एयर क्वालिटी मीटर स्क्रीन सिस्टम, ऑनलाइन नेटवर्किंग सहित वोल्टेज मीटर लगाया गया है। मशीन पर नजर रखने सीसीटीवी कैमरा, कंप्यूटर स्क्रीन सिस्टम, सोलर एनर्जी सिस्टम भी लगाया जा सकता है। ऑनलाइन नेटवर्किंग सिस्टम के जरिए मशीन को कही से भी चालू और बंद किया जाता है। यह मशीन मोबाइल और कम्प्यूटर से भी चल सकेगी। इसे कितनी भी दूर से चालू या बंद किया जा सकता है। इस मशीन में एक चिमनी लगाई गई है।



मशीन के अंदर लगे हैं नौ प्रकार के फिल्टर
मशीन के अंदर लगे हैं नौ प्रकार के फिल्टर

यह मशीन अंदर और बाहर दोनों तरह का प्रदूषण खत्म करती है। इसमें एक वाल लगा हुआ है, एस1 सिस्टम से अंदर का प्रदूषण और एस2 सिस्टम चालू करने से बाहर का प्रदूषण खत्म होता है। एस1 और एस2 दोनों चालू करते हैं तो अंदर और बाहर का प्रदूषण खत्म होता है। इस मशीन में नौ प्रकार के अलग-अलग फिल्टर हैं, जिसमें सबसे पहले कार्बन के बड़े कणों को रोका जाता है। इसके बाद कार्बन के छोटे कणों को रोका जाता है।



नेचुरल हवा में कर देता है तब्दील
नेचुरल हवा में कर देता है तब्दील

जहरीली गैस, चुंबकीय कण और प्रदूषण में मिले पीएम 2.5 के कण इतने महीन होते हैं कि शरीर का फिल्टर सिस्टम को भी पार कर जाता है। वहीं, जिस तरीके से पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और शुद्ध ऑक्सीजन बाहर निकालते हैं, उसी प्रकार यह फिल्टर बारीक से बारीक और महीन से महीन कणों को भी फिल्टर करके खराब हवा को एक नेचुरल हवा में बदलता है।


 यह फिल्टर पूरी तरह से प्रकाश संश्लेषण की तकनीक पर आधारित है। इसके बाद एक पाइप के माध्यम से शुद्ध हवा बाहर निकल जाती है। इसी मशीन के नीचे एक नल लगा हुआ है, जिसकी मदद से फिल्टर में जमे हुए कार्बन के कण को निकाल लिया जाता है। इस प्रकार से यह मशीन वायु प्रदूषण को 90 से 95 फीसदी रोकने में सक्षम है।





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