Indore Ujjwal Shukla Column: निगम-मंडलों में नियुक्ति, इंतिहा हो गई इंतजार की...

Indore Ujjwal Shukla Column: निगम-मंडलों में नियुक्ति का दौर शुरू हो चुका है। हाल ही में पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन को पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग एवं शिव चौबे को सामान्य वर्ग निर्धन आयोग का अध्यक्ष बनाकर मंत्री पद का दर्जा दिया गया। इधर, इंदौर के कई नेता निगम-मंडलों और प्राधिकरण में कुर्सी मिलने की आस लगाए बैठे हैं। इनमें कुछ नेता सिंधिया समर्थक हैं तो कुछ ताई और भाई के समर्थक।
उपचुनाव को ध्यान में रखकर तय होगा खरगोन एसपी
आदिवासी युवक बिसन की मौत के मामले में हटाए गए खरगोन एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान की जगह पर अभी तक किसी को नियुक्त नहीं किया गया है। इस पद को लेकर पुलिस मुख्यालय में एआइजी रैंक के करीब आधा दर्जन से ज्यादा अफसर जिले में जाने के लिए सक्रिय हैं। खंडवा लोकसभा सीट पर जल्द ही उपचुनाव होना है। खंडवा लोकसभा क्षेत्र में खरगोन जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं। ऐसे में अब जो पोस्टिंग की जाएगी, उसमें उपचुनाव की भी जमावट को ध्यान में रखा जाएगा। यहां पर गुरुवार रात को ही एसपी की पदस्थापना का आदेश जारी होना था, लेकिन कई अफसरों के यहां पर एसपी बनने के प्रयासों को देखते हुए आदेश जारी नहीं हो सका। माना जा रहा है कि अब एक-दो दिन में नए एसपी का नाम तय हो जाएगा।
इशारों-इशारों में कर दिया खंडवा सीट से दावा
राज्यसभा की एक सीट के लिए मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव के लिए कई नाम चर्चा में हैं। इनमें एक नाम भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का भी है। पिछले दिनों एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि पिछले दरवाजे से संसद में नहीं जाऊंगा। पूरे दम-खम से लोकसभा चुनाव लड़कर संसद में जाऊंगा। विजयवर्गीय के इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि खंडवा उपचुनाव में वे भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं।
खंडवा सीट को लेकर कैलाश का नाम लंबे समय से चर्चा में है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि उन्होंने इशारों-इशारों में खंडवा लोकसभा सीट से दावा पेश कर दिया है। खंडवा सीट पर इस समय एक अनार, सौ बीमार जैसे हालात हैं। यहां से दिवंगत सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस और वरिष्ठ भाजपा नेता कृष्णमुरारी मोघे पहले से दावेदार हैं।
महाराज का आशीर्वाद काम आया
भारतीय जूनियर टीम की चयन समिति की घोषणा पर मध्य प्रदेश के क्रिकेट से जुड़े लोगों की निगाह थी। कारण क्रिकेट तो कम था पर प्रदेश से दो दावेदारों की दौड़ ज्यादा थी। क्रिकेट के गलियारों में चर्चा है कि ग्वालियर से ताल्लुक रखने वाले हरविंदर सिंह सोढ़ी के सिर पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ था। सोढ़ी के लिए महाराज ने पूरा जोर लगा दिया था। आगरा से ग्वालियर आए सोढ़ी ने सिंधिया स्कूल से ही ककहरा सीखा था
और बल्ला भी पहली बार यहीं थामा था। इस बीच इंदौर से रणजी टीम के पूर्व कप्तान अमिताभ विजयवर्गीय का नाम भी चला था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। विजयवर्गीय को वैसे तो एमपीसीए में सिंधिया विरोधी गुट का सिपहसालार माना जाता है, लेकिन उनके दोनों तरफ संबंध मधुर रहे हैं। अब उम्मीद है सोढ़ी के पहुंचने के बाद मध्य प्रदेश से कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में नजर आएगा।