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पीएम मोदी बोले- राजनीतिक चश्मे से देखा जाता मानवाधिकार, लोकतंत्र के लिए बढ़ा खतरा


नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानवाधिकारों की व्याख्या करने वालों तथा उन्हें राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौलने वालों की आलोचना करते हुए मंगलवार को कहा कि ऐसा आचरण मानवाधिकारों तथा लोकतंत्र के लिए भी नुकसानदायक है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 28वें स्थापना दिवस समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं।

 उन्होंने कहा कि चयनित तरीके से आचरण करते हुए कुछ लोग मानव अधिकारों के हनन के नाम पर देश की छवि को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं और ऐसे लोगों से देश को सतर्क रहना है। प्रधानमंत्री ने किसी व्यक्ति या संगठन का नाम नहीं लिया। हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा मानवाधिकार समूहों के एक वर्ग की आलोचना करती रही है जिसमें वैश्विक मौजूदगी वाले समूह भी हैं।

 पार्टी का मानना है कि ये समूह कथित तौर पर सरकार को निशाना बनाने के लिए मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को चयनित तरीके से एवं एकतरफा ढंग से उठाते हैं। मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग दिया जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है।

 इस तरह का चुनिंदा व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।’ उन्होंने कहा कि एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में देश ने अलग-अलग वर्गों में, अलग-अलग स्तर पर हो रहे अन्याय को भी दूर करने का प्रयास किया है।

 मोदी ने अपने संबोधन में गरीबों, महिलाओं और दिव्यांगों के सशक्तीकरण के लिए अपनी सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं और उनकी सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज महिलाओं के लिए काम के अनेक क्षेत्रों को खोला गया है, और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि महिलाएं 24 घंटे पूरी सुरक्षा के साथ काम कर सकें।

 उन्होंने कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े देश ऐसा नहीं कर पा रहे लेकिन भारत आज कामकाजी महिलाओं को वेतन सहित 26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश दे रहा है। मोदी ने कहा, ‘आज देश 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के मूल मंत्र पर चल रहा है। यह एक तरह से मानव अधिकार को सुनिश्चित करने की ही मूल भावना है।’

 प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने लगातार विश्व को समानता और मानव अधिकारों से जुड़े विषयों पर नया दृष्टिकोण दिया है। उन्होंने कहा, ‘बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है। लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह समझना महत्वपूर्ण है कि मानवाधिकार केवल अधिकारों से नहीं जुड़ा है बल्कि यह हमारे कर्तव्यों का भी विषय है।'

 उन्होंने कहा, ‘अधिकार और कर्तव्य दो ऐसे रास्ते हैं जिन पर मानव विकास और मानव गरिमा की यात्रा आगे बढ़ती है तथा कर्तव्य भी अधिकारों के समान ही महत्वपूर्ण हैं एवं उन्हें अलग नहीं देखना चाहिए, क्योंकि वे एक दूसरे के पूरक हैं।’ कोविड-19 के दौरान गरीबों की मदद के लिए नि:शुल्क अनाज उपलब्ध कराने और बुजुर्गों तथा अन्य संवेदनशील तबकों को नकद अंतरण सहित सरकार के प्रयासों को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि इतनी बड़ी आबादी में विगत में एक महामारी ने समाज में अस्थिरता पैदा की है, लेकिन भारत ने आम आदमी के अधिकारों के लिए किए गए अपने कार्य से सभी आशंकाओं को गलत साबित किया।

 उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात पर गर्व महसूस करता हूं कि कोविड-19 के चरम पर होने के बावजूद 80 करोड़ भारतीयों को नि:शुल्क अनाज मिला। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास प्रत्येक व्यक्ति के मानवाधिकारों की गारंटी देता है।’ उन्होंने नकद अंतरण और फसल बीमा जैसे किसान हितैषी कदमों का भी जिक्र किया और कहा कि इन प्रयासों की वजह से संकट के दौरान फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।

 प्रधानमंत्री ने गरीबों की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि जो गरीब कभी शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर था, उस गरीब को जब शौचालय मिलता है, तो उसे गरिमा भी मिलती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार जो गरीब कभी बैंक के भीतर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था उस गरीब का जब जनधन खाता खुलता है, तो उसमें हौसला आता है, उसकी गरिमा बढ़ती है।

 मोदी ने कहा कि इसी तरह, रुपे कार्ड, महिलाओं के लिए उज्ज्वला गैस कनेक्शन और पक्के मकानों का संपत्ति अधिकार जैसे उपाय संबंधित दिशा में प्रमुख कदम हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत के लिए मानवाधिकारों की प्रेरणा का, मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत आजादी के लिए हमारा आंदोलन, हमारा इतिहास है।’’ मोदी ने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा, ‘‘एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में हमने अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया, हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। 

एक ऐसे समय में, जब पूरी दुनिया विश्वयुद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया। हमारे बापू को देश ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप में देखता है।’’ गौरतलब है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन मानवाधिकार सुरक्षा अधिनियम 1993 के तहत 12 अक्टूबर 1993 को किया गया था। आयोग मानवाधिकारों के हनन से जुड़े मामलों पर संज्ञान लेता है, इसकी जांच करता है तथा पीड़ितों के लिए मुआवजे की सिफारिश करता है। इसके साथ ही आयोग मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले लोकसेवकों के खिलाफ कानूनी उपाय भी करता है।


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