Mother Ambika Ashram Indore: भजनों के जरिए 33 वर्षों से हो रही मां अंबे के ममतामयी स्वरूप की आराधना

Mother Ambika Ashram Indore। बाणगंगा स्थित मां अंबिका आश्रम में विराजमान शेर पर सवार मां अंबे भक्तों को मनोकामना पूर्ति का आशीष देती हैं। यहां पिछले 33 वर्षों से भजनों के जरिए मां के ममतामयी स्वरूप की आराधना की जा रही है। वर्ष में आने वाली दो गुप्त और प्राकट्य नवरात्र के दौरान नौ दिन भजनों के माध्यम से माता की आराधना के साथ प्रत्येक गुरुवार को भजन का सिलसिला जारी है।
इतिहास
मंदिर का निर्माण लालजी गुरुजी ने 1985 में किया था। यहां संगमरमर से बनी माता के ममतामयी स्वरूप की पांच फीट ऊंची मूर्ति जयपुर से लाकर प्रतिष्ठित की गई थी। इनके साथ माता लक्ष्मी और सरस्वती की तीन फीट ऊंची और भैरवनाथ की भी आकर्षक मूर्ति है। यहां भजनों के माध्यम से माता की आराधना का सिलसिला 1988 से चल रहा है। इसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं।
यह भी खास
- माता की साधना के साथ आश्रम से सेवा कार्यों का संचालन भी होता है। इस कड़ी में कोरोना काल में मास्क, सैनिटाइजर के साथ साबुन और सर्फ का वितरण किया गया।
- माता की मूर्ति पर एक तिल है। बताया जाता है मूर्ति दर्शन-पूजन और आराधना से भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
मंदिर से जुड़े लोगों के अनुसार बैठे हुए शेर पर सवार मां अंबे की मूर्ति अन्य स्थानों पर नजर नहीं आती है। बैठे हुए शेर पर सवार शेरावाली के दर्शन यहीं होते हैं।
- नवरात्र के प्रथम दिन घट स्थापना के बाद महाष्टमी और महानवमी पर विशेष आयोजन होते हैं। विधि-विधान से पूजन के साथ महाप्रसादी का आयोजन होता है।
मुराद पूरी करती है मां
मंदिर में माता का ममतामयी स्वरूप विराजित है। माता भक्तों की मुराद पूरी करती हैं। उनके दर्शन के लिए देशभर से भक्त आते हैं। नवरात्र के दौरान विभिन्ना उत्सव का आयोजन होता है।
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