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Navratri 2021 : शत्रुओं का नाश करती हैं मां बगलामुखी



जबलपुर शहर के मध्य सिविक सेंटर स्थित मां बगलामुखी सिद्धपीठ मंदिर शंकराचार्य मठ में नवरात्र पर्व पर नौ दिन विशेष अनुष्ठान चलता है। मां बगलामुखी का पूजन विशेष रूप से शत्रुओं का नाश करने के लिए किया जाता है। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज द्वारा चारों पहर विशेष पूजन किया जा रहा है।


इतिहास : मंदिर का भूमिपूजन 18 जुलाई 1999 को हुआ और 7 फरवरी 2000 को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने मां पीतांबरा की स्थापना की। इसके दूसरे दिन शंकराचार्य आश्रम का शुभारंभ हुआ। शत्रु संहारक मां बगलामुखी के दर्शन करने शहर के अलावा अन्य शहरों से भी भक्त पहुंचते हैं। नौ दिन यहां भक्‍तों का मेला भरता है। 1973 से पहले से यहां संस्कृत विद्यालय संचालित हो रहा है।


 इससे पहले यहां दंडी स्वामी क्रोधानंद भगवती बगलामुखी माता की आराधना करते थे। उसी आराधना स्थल पर वर्तमान में मां बगलामुखी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में ही स्वामी क्रोधानंद की समाधि इस बात का प्रमाण है।


1100 कलशों की स्थापना : मंदिर की यज्ञ शाला में 1100 मनोकामना अखंड ज्योति कलश की स्थापना भक्तों द्वारा कराई जाती है। नवरात्र पर्व पर विशेष रूप से 51 वेदपाठी वैदिक ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा शप्तसती का पाठ किया जाता है। भगवती का प्रात:काल अर्चन एवं विशेष श्रृंगार किया जाता है। मंदिर की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से दक्षिण भारतीय शैली पर तैयार किया गया है। जिसमें नवग्रह की स्थापना भी की गई है। यहां सालभर शत्रुनाशक यज्ञ सहित पौष मास में सूर्य अर्चन किया जाता है।

मां बगलामुखी शत्रुनाशिनी हैं, मंदिर में नवरात्र पर्व पर विशेष अर्चन किया जाता है और सालभर चलने वाली उपासना में भक्‍त शामिल होते हैं।

- ब्रह्मचारी चैतन्‍यानंद महाराज, पुजारी

बीमारी के कारण मेरे गले से आवाज नहीं निकलती थी। मुझ पर मातारानी की कृपा हुई तो अब मैं पहले की तरह सभी से बोल पाता हूं।


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