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घातक डेल्टा लहर जैसे फिर बन सकते हैं भारत के हालात, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चेतावनी

नई दिल्ली देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,64,202 नए मामले आए हैं, जो 239 दिनों में सबसे अधिक है। इन नए मामलों के आने से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,65,82,129 हो गई है। इसमें घातक वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के 5,753 मामले शामिल हैं। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट नए खतरे का संकेत दे रही है। भारत पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट जी हां, संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले साल आए डेल्टा वेरिएंट की लहर की तरह आगे भी वैसे ही हालात पैदा हो सकते हैं। अप्रैल और जून 2021 के बीच कोविड-19 के डेल्टा स्वरूप की घातक लहर में 2,40,000 लोगों की मौत हो गई थी। इस दौरान आर्थिक सुधार बाधित हुआ था। संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएं 2022 रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोविड-19 के अत्यधिक संक्रामक ओमीक्रोन स्वरूप के संक्रमण की नई लहरों के कारण मृतकों की संख्या और आर्थिक नुकसान में फिर से वृद्धि होने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत में, डेल्टा स्वरूप के संक्रमण की एक घातक लहर ने अप्रैल और जून के बीच 2,40,000 लोगों की जान ले ली थी और आर्थिक सुधार बाधित हुआ था। निकट समय में इसी तरह के हालात पैदा हो सकते हैं।' संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग के अवर महासचिव लियु जेनमिन ने कहा, 'कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए एक समन्वित और निरंतर वैश्विक दृष्टिकोण के बिना यह महामारी वैश्विक अर्थव्यवस्था के समावेशी और स्थायी उभार के लिये सबसे बड़ी जोखिम बनी रहेगी।' ओमीक्रोन पर खतरे की घंटी कोरोना वायरस का ओमीक्रोन स्वरूप, डेल्टा स्वरूप से तेजी से आगे निकल रहा है और पूरी दुनिया में इस स्वरूप से संक्रमण के मामले अब ज्यादा सामने आ रहे हैं। WHO के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि इस बात के साक्ष्य बढ़ रहे हैं कि ओमीक्रोन प्रतिरक्षा शक्ति से बच निकल सकता है लेकिन अन्य स्वरूपों की तुलना में इससे बीमारी की गंभीरता कम है। डब्ल्यूएचओ में संक्रामक रोग महामारी विज्ञानी एवं ‘‘कोविड-19 टेक्निकल लीड’’ मारिया वान केरखोव ने कहा कि कुछ देशों में ओमीक्रोन को डेल्टा पर हावी होने में समय लग सकता है क्योंकि यह उन देशों में डेल्टा स्वरूप के प्रसार के स्तर पर निर्भर करेगा।


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