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कांग्रेस की 'प्रचंड' लहर में भी एमपी-एमएलए का चुनाव एक साथ जीते थे कामरेड सरजू पांडे

अमितेश कुमार सिंह, गाजीपुर सियासत में कई रिकॉर्ड बनते और टूटते रहते हैं। ऐसा ही कुछ वाकया गाजीपुर के रहने वाले कम्युनिस्ट नेता सरजू पांडेय के साथ जुड़ा है। महज दर्जा 8 पास कामरेड सरजू ने 1957 के चुनावों में एक साथ लोकसभा और विधानसभा का चुनाव जीतकर सभी को हैरानी में डाल दिया था। उस समय कांग्रेस पार्टी की प्रचंड लहर थी और लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ ही होते थे। सरजू पांडेय के साथ लंबे समय तक साथ रहे पूर्व कम्युनिस्ट विचारक डा पीएन सिंह अपनी पुस्तक" गाजीपुर के गौरव बिंदु-राजनीतिक" में लिखते हैं कि सरजू पांडे 1957 के चुनाव में संसद और विधानसभा दोनों ही सीटें जीते। वह रसड़ा लोकसभा और मुहम्मदाबाद विधानसभा से एक साथ चुने गए थे। उनके पास पैसे नहीं थे लेकिन समर्थन था। सांगठनिक ढांचा भी कमजोर था लेकिन कार्यकर्ताओं में उत्साह और संकल्प था। पांडे जी 1977 तक निरापद सांसद होते रहे। साल 1967 तक अपने बलबूते लेकिन 1971 में इंदिरा गांधी के समर्थन से। 1977 में आपातकाल के बाद उठी इंदिरा विरोधी लहर में वह भी डूब गए। इसके बाद उन्हें सांसद बनने का गौरव प्राप्त नहीं हो सका। साल 1974 के बाद उभरी जातिवादी चेतना के चलते उनका जनाधार कम होता गया। डॉक्टर पीएन सिंह के अनुसार सरजू पांडे के कथनी और करनी में कोई भेद नहीं था। बहस मुबाहिस के बाद वे बहुमत के निर्णय को बेहिचक स्वीकार करने का माद्दा रखते थे। व्यक्तिगत और सांगठनिक मतभेदों को वे हंसते-हंसते दूर कर दिया करते थे। उनके परिवार को उत्तराधिकार में स्वतंत्रता सेनानी की ग्यारह सौ रुपए की पेंशन और चार कमरे का एक अधूरे मकान के अलावा कुछ भी नहीं मिला।


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